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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

न होगा कि इसे उन विशेषज्ञोंके लिए छोड़ दिया जाये जो इस तरहकी गवेषणाओंमें अपना जीवन लगाते हैं ? यह बात खास तौरसे उन अन्नाहारियोंपर लागू होती है, जिनका अन्नाहार धर्म भूतदयाके महान तत्त्वपर आधारित है-- जो इसलिए अन्नाहारी है कि वे अपने भोजनके लिए प्राणियोंका वध करना गलत ही नहीं, पापमय समझते हैं। साधारण अन्नाहार संभव है, स्वास्थ्यप्रद है -- यह तो सरसरी तौरपर देखनेवाले भी जान सकते हैं। फिर हमें और क्या चाहिए ? प्राणयुक्त आहारमें भारी सामर्थ्य हो सकता है, परन्तु वह हमारे नाशवान शरीरोंको अमर तो नहीं बना देगा।यह संभव नहीं दीखता कि मनुष्य किसी बहुत बड़ी संख्या में कभी भी भोजन पकानेकी क्रिया त्याग देंगे। केवल प्राणयुक्त आहार आत्माकी जरूरतोंको पूर्ण नहीं करेगा,नहीं कर सकता। और अगर इस जीवनका सबसे ऊँचा उद्देश्य-- सचमुच तो, एक- उद्देश्य--आत्माको जानना हो, तो मेरा नम्र निवेदन है कि जिस बातसे हमारे आत्माको जाननेके अवसर कम होते हैं, वह उस हदतक हमारे जीवनके एकमात्र वांछनीय उद्देश्यके साथ खिलवाड़ है। इसलिए, प्राणयुक्त आहारोंके और वैसे ही दूसरे प्रयोगोंके साथ खिलवाड़ करना भी इसी तरहकी बात है।

अगर हमें इसलिए भोजन करना है कि हम जिस परमात्माके है उसकी शानके मुताबिक जी सकें, तो क्या यह काफी नहीं है कि हम ऐसी कोई वस्तु न खायें,जो प्रकृतिके प्रतिकूल है, और जिसके लिए अनावश्यक खून बहाना जरूरी होता है ? परन्तु अभी मैं इस विषयके अध्ययनकी प्राथमिक अवस्थामें ही हूँ, इसलिए अधिक नहीं कहूँगा। मैं सिर्फ इन विचारोंको, जो मेरे प्रयोगके समय मनमें उठा करते थे, सामने रख रहा हूँ। हो सकता है कि संयोगवश किसी प्यारे भाई या बहनको इनमें अपने निजी विचारोंकी गूंज मिल जाये।

जिस कारणसे मैं प्राणयुक्त आहारका प्रयोग करनेको आकृष्ट हुआ था,--वह उसका परले दर्जेका सादापन। मैं खाना पकानेके कामको खत्म कर सकता हूँ, मैं जहाँ-कहीं भी जाऊँ, अपना भोजन अपने साथ ले जा सकता हूँ, मुझे घर-मालकिनकी या जो भी मुझे भोजन देते हैं, उनकी गन्दगी बरदाश्त नहीं करनी होगी, दक्षिण आफ्रिका जैसे देशमें यात्रा करने में प्राणयुक्त आहार आदर्श आहार होगा ये सब आकर्षण मेरे लिए इतने प्रबल थे कि मैं इन्हें रोक नहीं सकता था। परन्तु, आखिरकार जो एक स्वार्थ ही है और जो परम लक्ष्यसे ओछा है, उसे सिद्ध करने के लिए समयका कितना बलिदान ! और कितना कष्ट ! इन सब चीजोंके लिए जीवन बहुत छोटा मालूम पड़ता है।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन, २४-३-१८९४