पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/१७७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१३३
धर्म-सम्बन्धी प्रश्नावली

मैं आपको यह बतानेके लिए ऐसा लिख रहा हूँ कि हम कितनी आसानीसे बच्चोंको यह महान सत्य समझाकर उनसे मांसाहार छुड़वा सकते हैं। हाँ, शर्त यह है कि माता-पिता इस परिवर्तनके विरोधी न हों। वह बच्चा और मैं अब गहरे दोस्त बन गये है। मालूम होता है कि वह मुझे बहुत चाहता है ।

लगभग पन्द्रह वर्षकी उम्रके एक अन्य लड़केके साथ मैं बात कर रहा था। उसने कहा कि वह स्वयं तो मुर्गीको नहीं मार सकता, न उसे मारे जाते देख सकता है; परन्तु उसे खाने में उसको कोई आपत्ति नहीं है।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन, ५-५-१८९४

३५.धर्म-सम्बन्धी प्रश्नावली'

[प्रिटोरिया

जून, १८९४से पूर्व]

आत्मा क्या है ? क्या वह कर्ता है ? उसपर कर्मका प्रभाव पड़ता है या नहीं?

ईश्वर क्या है ? वह जगत्कर्ता है, यह सही है ?

मोक्ष क्या है ?

मोक्ष मिलेगा या नहीं--क्या यह इसी देहमें रहते हुए ठीक तरहसे जाना जा सकता है?

पढ़नेमें आया है कि मनुष्य, देह छोड़नेके बाद, कर्मके अनुसार जानवरोंकी योनि धारण कर सकता है, पेड़ या पत्थर भी बन सकता है। यह सही है ? आर्य धर्म क्या है ? क्या सब भारतीय धर्मोकी उत्पत्ति वेदोंसे ही हुई है? वेद किसने रचे? क्या वे अनादि हैं ? यदि ऐसा हो तो अनादिका अर्थ क्या है ? 'गीता' किसने रची? ईश्वरकृत तो नहीं है? यदि ऐसा हो तो इसका कोई प्रमाण?

क्या यज्ञमें पशु आदिको बलिसे कोई भी पुण्य होता है ? कोई धर्म उत्तम है, ऐसा कहा जाये तो क्या उसका प्रमाण माँगना ठीक है? ईसाई धर्मके विषयमें आप कुछ जानते हैं? यदि जानते हों तो क्या अपने विचार बतायेंगे?

१. गांधीजीने जून, १८९४ से पहले राजचन्द्रभाईको एक पत्र लिखकर कुछ प्रश्न पूछे थे। मूल पत्र उपलब्ध नहीं है। इसलिए राजचन्द्रभाईके उतरोंसे उन प्रश्नोंका अनुमान करके यहाँ दिया जा रहा है। मूल गुजरातोसे मालूम होता है कि गांधीजीने कुछ और प्रश्न भी पूछे थे। परन्तु उन्हें छोड़ दिया गया था। इसलिए उनकी प्रति उपलब्ध नहीं है। राजचन्द्रभाईके उत्तरोंके लिए देखिए खण्ड ३२, परिशिष्ट १, तथा आत्मकथा, भाग २, अध्याय १ भी।