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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

साथ कोई सम्बन्ध नहीं है। उसका अधिकांश सम्बन्ध तो सामान्य बुद्धिसे है, और भारतके लोगोंको सामान्य बुद्धि उतनी ही मात्रामें प्राप्त है, जितनी मात्रामें हमें। किसी भी प्रकारको शिक्षा प्राप्त होने के सैकड़ों वर्ष पूर्व हम चुनावके अधिकारका उपभोग करते थे और हमारे पास प्रातिनिधिक संस्थाएँ थीं। इसलिए शिक्षा-सम्बन्धी कसौटीका कोई मूल्य नहीं है। जो लोग हमारे देशके इतिहाससे परिचित हैं, वे भली-भाँति जानते है कि दो सौ वर्ष पहले हमारे यहाँ घोरतम अन्धविश्वास और अज्ञान फैला हुआ था। फिर भी हमारे पास हमारी प्रातिनिधिक संस्थाएँ तो थी ही।

(२०) सर जॉर्ज बर्डवुडने भारतके लोगोंके चारित्र्यके बारेमें लिखते हुए अपने कथनका उपसंहार इन शब्दोंमें किया है :

भारतके लोग किसी भी सच्चे अर्थ में हमसे कम नहीं हैं। कुछ झूठे--हमारे लिए ही झूठे--मापदण्डोंसे, जिनपर विश्वास करने का हम ढोंग करते हैं, नापनेपर वे हमसे ऊँचे हैं।

(२१) मद्रासके एक गवर्नर सर टॉमस मनरोका कथन है :

मैं नहीं जानता कि भारतके लोगोंको सभ्य बनानेका अर्थ क्या है। अच्छे शासनके सिद्धान्तों और व्यवहारमें सम्भव है वे कम उतरें। परन्तु यदि एक अच्छी कृषि-प्रणाली, उत्तम माल तैयार करना ...लिखने-पढ़ने के लिए पाठशालाओं-की स्थापना, दयालुता और आतिथ्यका सामान्य व्यवहार...ये सब उन बातों में से हैं, जिनसे लोगोंकी सभ्यता जानी जाती है, तो हिन्दू लोग सभ्यतामें यूरोपके लोगोंसे पीछे नहीं हैं।

(२२) भारतीयोंको बहुत गालियाँ दी जाती हैं और गलत तो उन्हें बहुत अधिक समझा गया है। उनके ही बारेमें प्रोफेसर मैक्समूलर कहते हैं:

अगर मुझसे पूछा जाये कि किस देशके मानवी मस्तिष्कने अपने कुछ सर्वोत्तम गुणोंका अधिकसे-अधिक पूर्ण विकास किया है, जीवनकी बड़ीसे-बड़ी समस्याओंपर अत्यन्त गंभीरताके साथ विचार किया है और उनके ऐसे हल प्राप्त किये हैं, जो प्लेटो और कांटके दर्शनशास्त्रोंका अध्ययन किये हुए लोगोंके लिए भी भलीभाँति ध्यान देने योग्य हैं, तो मैं कहूँगा कि वह देश भारत है।

(२३) कोमलतर भावनाओंको जगानेके विचारसे प्रार्थी आदरके साथ बताना चाहते हैं कि अगर मताधिकार संशोधन विधेयक मंजूर हो गया तो उससे एकीकरणके

१.१८३२-१९१७; १८५४ के दौरान 'बॉम्बे मेडिकल सविस' में और बादमें तीस वर्षतक लन्दन- स्थित “ इंडिया ऑफिस" में सेवा की। रिपोर्ट ऑन द मिस्लेनियस ओल्ड रेकर्ड्स ऑफ द इंडिया ऑफिस और इंडस्ट्रियल आर्टस ऑफ इंडियाके रचयिता।