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भेंट : नेटालके प्रधानमंत्रीसे

कार्यको वेग नहीं मिलेगा, बल्कि उसमें बाधा पड़ेगी। और इस एकीकरणके लिए तो भारतीय और ब्रिटिश राष्ट्रोंके सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हार्दिक प्रयत्न कर रहे हैं।

(२४) प्रार्थियोंने अपने पक्षमें जान-बूझकर अंग्रेज विद्वानोंके वचन इस तरह पेश किये हैं कि उनके ही मुखसे उनकी बात सुनी जा सके। उपर्युक्त उद्धरणोंको व्याख्या करके बढ़ाया नहीं गया है। इस प्रकारके और भी अनेक उद्धरण दिये जा सकते हैं। परन्तु प्रार्थियोंका दृढ़ विश्वास है कि आपकी सम्माननीय परिषद और सभाको हमारी प्रार्थनाके न्याययुक्त होनेका विश्वास दिला देनेके लिए उपर्युक्त उद्धरण काफी होंगे; और प्रार्थी आपकी सम्माननीय सभासे याचना करते है कि वह अपने निर्णयोंपर फिरसे विचार करे। या, विधेयकके सम्बन्धमें आगे कार्रवाई करनेके पहले वह इस प्रश्नकी जाँच करने के लिए कि उपनिवेशवासी भारतीय मताधिकारका प्रयोग करनेके योग्य है या नहीं, एक आयोगकी नियुक्ति करे।

और दया तथा न्यायके इस कार्य के लिए प्रार्थी, कर्त्तव्य समझकर, सदा दुआ करेंगे, आदि।

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सं० १७९, खण्ड १८९: वोट्स ऐंड प्रोसीडिंग्ज ऑफ पालियामेंट, नेटाल; १८९४

३७. भेंट : नेटालके प्रधानमन्त्रीसे'

डर्बन

२९ जून, १८९४

सेवामें

सर जॉन रॉबिन्सन, के० सी० एम० जी०

प्रधानमन्त्री और उपनिवेश-सचिव

नेटाल उपनिवेश

नम्र निवेदन है कि,

श्रीमान्ने अपने बहुमूल्य समयका कुछ अंश इस शिष्टमण्डलसे मिलनेके लिए दिया, इसके लिए हम श्रीमान्का धन्यवाद करते है।

हम श्रीमान्को उपनिवेशवासी भारतीयोंका यह प्रार्थनापत्र अर्पित करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि श्रीमान् इसपर ध्यानसे विचार करें।

हम श्रीमान् की शिष्टताका फायदा उतने ही समयतक उठायेंगे जितना बिलकुल जरूरी है। परन्तु हमें इतना पर्याप्त समय नहीं मिला कि हम अपना मामला

१. नेटाल विधानसभाके आदेशसे २१ अप्रैल, १८९६ को प्रकाशित पत्र-व्यवहार सूची में सं०१ की मद।