पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/१८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१४३
भेंट : नेटालके गवर्नरसे

(५) क्या आप चाहते है कि जो गिरमिटिया भारतीय उप- निवेशमें आते है और यहाँ बस जाते हैं वे यदि स्थायी रूपसे भारत वापस चले जाना पसन्द न करें तो सदा अर्ध-दासता और अज्ञानकी अवस्थामें रहें ?

[अंग्रेजीसे]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सं० १७९,खण्ड १८९

३९. भेंट: नेटालके गवर्नरसे

[१]

डर्बन

३ जुलाई, १८९४

सेवामें,

परमश्रेष्ठ माननीय सर वॉल्टर फ्रान्सिस हेली-हचिन्सन, के० सी० एम० जी०, गवर्नर, नेटाल उपनिवेश; प्रधान सेनापति तथा वाइस-एडमिरल, नेटाल; और देशी आबादीके सर्वोच्च शासक नम्रतापूर्वक निवेदन है कि,

जुलाई, १, १८९४ को डर्बनमें प्रमुख भारतीयोंकी एक सभा हुई थी, जिसमें हमसे अनुरोध किया गया था कि हम मताधिकार संशोधन विधेयकके सम्बन्धमें महानु-भावसे भेंट करें। इस विधेयकका तीसरा वाचन कल शामको नेटाल उपनिवेशकी विधानसभामें हो चुका है।

विधेयक अपने वर्तमान रूपमें प्रत्येक भारतीयको, जिसका नाम अभी मतदाता-सूचीमें दर्ज नहीं है, चाहे वह ब्रिटिश प्रजा हो या न हो, मतदाता बननेके अयोग्य ठहराता है।

हम यह कहनेकी धृष्टता करते हैं कि यदि विधेयकमें कोई शर्ते या मर्यादाएँ शामिल न कर दी गई तो वह स्पष्टतः अन्यायपूर्ण है और कमसे-कम कुछ भारतीयों पर तो उसका असर बहुत बुरा होगा ही।

इंग्लैंडमें भी आवश्यक योग्यता रखनेवाले किसी भी ब्रिटिश प्रजाजनको जाति, रंग या धर्मके भेद बिना मत देनेका अधिकार प्राप्त है।

महानुभावके शिष्टाचारका अतिक्रमण होनेके खयालसे हम यहाँ इस प्रश्नकी विस्तारके साथ चर्चा नहीं करेंगे। परन्तु हम विधानसभाको दिये गये प्रार्थनापत्रकी एक छपी हुई नकल महानुभावके पास भेजनेकी इजाजत लेते हैं। निवेदन है कि महानुभाव उसे ध्यानसे पढ़ लें।

  1. १. उपनिवेश-मन्त्री लॉर्ड रिपनके नाम नेटालके गवर्नर सर वॉल्टर हेली-हचिन्सनके खरीता सं०६२, १६ जुलाई, १८९४ का सहपत्र सं० २।