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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


इस विषयकी कुछ पुस्तिकाएँ बिना मूल्य मेरे दफ्तरसे मिल सकती हैं।

मो° क° गांधी

एजेंट, एसॉटरिक क्रिश्चियन यूनियन और

लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्क्युरी, २८-११-१८९४

 

५२. पत्र: 'नेटाल मर्क्युरी' को

डर्बन
२६ नवम्बर, १८९४

सेवामें
सम्पादक
'निटाल मर्क्युरी'

महोदय,

आपके विज्ञापन-स्तम्भोंमें एसॉटरिक क्रिश्चियन यूनियन के बारेमें जो विज्ञापन छपा है, उसकी ओर अगर आप अपने पाठकों का ध्यान आकर्षित करनेकी इजाजत दें तो मैं बहुत आभारी होऊँगा। विज्ञापित पुस्तकोंमें जिस विचारधाराका प्रतिपादन किया गया है, वह किसी भी तरह देखनेपर कोई नई धारा नहीं है, बल्कि पुरानी विचारधाराका ही आधुनिक मानसको स्वीकार होने योग्य रूपान्तर है। इसके अतिरिक्त वह धर्मकी एक विचारधारा है, जो विश्वात्मैक्यकी शिक्षा देती है और सनातन विविधतापर आधारित है, केवल परिस्थिति विशेष अथवा ऐतिहासिक तथ्योंपर आधारित नहीं है। उस विचारधारामें ईसाको बड़ा बताने के लिए मोहम्मद या बुद्धको गाली नहीं दी जाती। उलटे वह ईसाई धर्मके साथ अन्य धर्मोका समन्वय करती है। ग्रंथकारोंके मतसे, ईसाई धर्म उसी सनातन सत्यको प्रस्तुत करनेकी (अनेक प्रणालियों में से) एक प्रणाली है। 'पुराने करार' (ओल्ड टेस्टामेंट) की अनेक उलझनोंका इन ग्रंथोंमें बिलकुल पूर्ण और सन्तोषजनक हल मिल जाता है।

अगर आपके पाठकोंमें कोई उच्चतर जीवनकी साधनाका आकांक्षी है और उसे वर्तमान भौतिकवाद तथा उसकी तमाम चमक-दमक अपनी आत्माकी भूख मिटाने के लिए अपर्याप्त मालूम हुई है; और अगर वह देखता है कि आधुनिक सभ्यताकी चमक-दमक के पीछे जो कुछ छिपा है, उसमें से बहुत-कुछ मनुष्यकी अपेक्षाके प्रतिकूल पड़ता है; और, इस सबसे ऊपर अगर आधुनिक भोग-विलासके साधन और लगातार होनेवाली सरगर्म प्रवृत्तियाँ उसे कोई राहत नहीं पहुँचातीं; तो ऐसे व्यक्तिसे मैं ये पुस्तकें पढ़नेकी सिफारिश करता हूँ। और मैं आश्वासन देता हूँ कि इन्हें पढ़कर,