पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/२५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२०८
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रार्थी विनयपूर्वक प्रार्थना करते हैं कि आपकी सम्माननीय विधानसभा यह फैसला करे कि गिरमिटको पुनः नया करने और कर लगानेसे सम्बन्ध रखनेवाला विधेयकका अंश ऐसा नहीं है, जिसपर आपकी सम्माननीय विधानसभा अनुकूल विचार कर सके। और न्याय तथा दयाके कार्यके लिए प्रार्थी सदैव दुआ करेंगे, आदि।

अब्दुल्ला हाजी आदम

और अन्य अनेक

अंग्रेजी (एस° एन° ४३४) की फोटो नकलसे।

 

६१. प्रार्थनापत्र : लॉर्ड रिपनको[१]

प्रिटोरिया
दक्षिण आफ्रिकाकी गणराज्य
[५ मई, १८९५ से पूर्व][२]

सेवामें

श्रीमान् परमश्रेष्ठ माक्विस ऑफ रिपन

सम्राज्ञीके मुख्य उपनिवेश मन्त्री, लंदन

दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यवासी ब्रिटिश भारतीयोंका प्रार्थनापत्र नम्र निवेदन है कि,

दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य में प्रार्थियोंकी जो स्थिति है और खास तौरसे भारतीयोंके मामलेमें ऑरेंज फ्री स्टेटके मुख्य न्यायाधीशके हाल ही दिये गये पंच-फैसलेका उसपर जो असर पड़ा है, उसके सम्बन्धमें प्रार्थी महानुभावके सामने आदरपूर्वक यह प्रार्थनापत्र पेश करनेकी इजाजत लेते हैं।

(२) आपके प्रार्थी चाहे व्यापारी हों, चाहे दूकानदारोंके सहायक, फेरीवाले, रसोइये, हजूरिये, या मजदूर, सारे ट्रान्सवालमें बिखरे हुए हैं। और जोहानिसबर्ग और प्रिटोरियामें तो वे सबसे बड़ी संख्या में बसे हैं। व्यापारी लगभग २०० हैं। उनकी चुकता पूँजी १,००,००० पौंड होगी। उनकी करीब तीन पेढ़ियाँ इंग्लैंड, डर्बन, पोर्ट एलिजाबेथ, भारत तथा अन्य स्थानोंसे सीधे माल आयात करती हैं। इस तरह दुनिया के दूसरे हिस्सोंमें उनकी शाखाएँ हैं, जिनका अस्तित्व मुख्यत: उनके ट्रान्सवालके व्यापारपर निर्भर करता है। शेष लोग छोटे-छोटे विक्रेता हैं। उनकी दूकानें विभिन्न स्थानोंमें हैं। गणराज्यमें लगभग २,००० फेरीवाले हैं। वे माल खरीदकर, घर-घर घूमकर बेचते हैं। और इन प्रार्थियोंमें जो लोग मजदूर हैं वे यूरोपीयोंके घरों या होटलोंमें साधारण नौकरोंके कामपर लगे हुए हैं। उनकी संख्या लगभग १,५०० है। उनमें से लगभग १,००० जोहानिसबर्ग में रहते हैं।

 
  1. सर जेकम्स डी बेटने इसे ३० मई, १८९५ को केपटाउन स्थित उच्चायुक्तके पास भेजा था।
  2. देखिए "पत्र : मु° का° कमरुद्दीनको", ५-५-१८९५।