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'नेटाल एडवर्टाइजर' को लिखे पत्रके अंश

प्रयत्न करते ही ७१ लोगोंने मुड़कर खुलेआम डण्डे, टीन, लोहेके टुकड़े और बर्तन पुलिस पर फेंके और पुलिसको अपना बचाव करनेके लिए भागना पड़ा। अतिरिक्त सहायताके लिए पी° सी° मैडन लोगोंको लेकर घटनास्थलपर पहुँचे।" साक्ष्यमें बताया गया था कि जिन सात लोगोंको ललकारा गया उन्होंने घूम कर डण्डोंसे मुकाबला किया और दो ने विरोध करनेके लिए उन्हें उकसाया। पहले सिर्फ एक ही पुलिसका सिपाही था और वह वतनी सिपाही था, फिर पी° सी° मैडन अतिरिक्त सहायकोंके बिना अकेले ही वहाँ आये। लोगोंपर वतनी सिपाहीका विरोध करनेका आरोप तो लगाया गया है किन्तु पी° सी° मैडनने स्पष्ट कहा है कि लोगोंने उनकी कोई मुखालिफत नहीं की। विवरण में आगे कहा गया है : "बाकी सब एक साथ पीछे-पीछे यह कहते हुए आये कि जबतक उनके साथियोंको रिहा नहीं किया जायेगा तबतक वे नहीं जायेंगे। "श्री मेसनने जो साक्ष्य दिया है उससे स्पष्ट है कि 'बाकी' के ये लोग भी गिरफ्तार कर लिये गये थे और श्री मैडनने श्री मेसनको बताया था कि रेलविभाग उनपर काम छोड़कर भागनेका आरोप लगायेगा। श्री मेसन जानते थे कि वह क्या कह रहे हैं और उनके साक्ष्यका कोई खंडन नहीं किया गया। अब वे भारतीय दूसरी बार श्री मेसनसे शिकायत करने गये हैं कि वे भूखों मर रहे हैं। विवरणमें कहा गया है, "तीन-चार सिपाही अदालत में पेश हुए। उनके चेहरोंपर घाव थे और उनके कपड़े फटे हुए थे। तथ्य यह है कि वहाँ सिर्फ वतनी सिपाही ही था जिसका कहना है कि उसे डंडोंसे पीटा गया। जब उससे पूछा गया कि क्या वह चोटोंके निशान दिखा सकता है तो उसने कहा : "चोट सिरपर 'कहीं' लगी है, उसे कोई नहीं देख सकता। उसके शरीरपर कोई घाव नहीं थे। न तो उसके कपड़े ही फटे हुए थे और न उसने कपड़ोंके फटनेकी शिकायत ही की। जहाँतक मैं अपनी स्मृतिपर विश्वास कर सकता हूँ, मुझे याद आता है कि "बर्तनों और लोहेके टुकड़ों के" बारेमें एक शब्द भी नहीं कहा गया। और यदि सबके सिरपर लकड़ीका ढेर था, तब वे बर्तन आदि कैसे उठा पाये यह समझ में नहीं आता। श्री पी° सी° मैडन ही गवाही देनेवाले अकेले सिपाही थे। पर लोगोंने उनकी कोई मुखालिफत नहीं की थी और सिपाहीके पीटे जानेकी उन्हें व्यक्तिगत जानकारी है ऐसा वे नहीं कह सके हैं . . .।[१] मैंने पहले भी देखा है कि आपके विवरणोंमें तथ्य गलत या बढ़ा-चढ़ा कर बताये जाते हैं और मुझे यह कहते हुए दुःख है कि जब भी ऐसा हुआ है तब तथ्योंकी यह गलतबयानी या अत्युक्ति भारतीय जातिको हानि पहुँचानेके लिए की गई है।

[अंग्रेजी से]
नेटाल एडवर्टाइजर, २२-५-१८९५

 
  1. विवरण में कहा गया है कि गांधीजी द्वारा दोहराये गये कुछ साक्ष्यको छोड़ दिया गया है।