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नेटाल भारतीय कांग्रेसका कार्य-विवरण


कांग्रेसको प्रवृत्ति: उसका काम, उसके कार्यकर्ता
और उसकी कठिनाइयाँ

आखिरी बातकी चर्चा पहले करें, तो कहना पड़ेगा कि कांग्रेसको काफी मुसीबतोंसे गुजरना पड़ा है। यह अनुभव जल्दी ही हो गया कि चन्दा उगाहनेका काम बड़ा कठिन है। अनेक सुझाव पेश किये गये, लेकिन कोई भी पूरी तरह सफल सिद्ध नहीं हुआ। आखिरकार कुछ कार्यकर्ताओंने स्वेच्छासे काम किया और उन्हींके परिश्रमके फलस्वरूप ४४८ पौंडकी सम-राशि जमा दिखाना सम्भव हो सका है। सर्वश्री पारसी रुस्तमजी, अब्दुल कादिर, अब्दुल करीम, दोरास्वामी, दावजी कठराडा, रांदेरी, हुसेन कासिम, पीरन मुहम्मद, जी° एच° मियाखाँ और आमोद जीवाने किसी-न-किसी समयपर चन्दा उगाहनेका प्रयत्न किया है, इनमेंसे सब या अधिकतर एकसे ज्यादा बार चन्देके लिए घूमे हैं। श्री अब्दुल कादिरने अकेले ही अपने खर्चसे पीटरमैरित्सबर्ग जाकर लगभग ५० पौंडकी रकम वसूल की। अगर वे ऐसा न करते तो इसमें से अधिकांश रकम कांग्रेसको न मिलती। श्री अब्दुल करीम अपने खर्चसे वेरुलम गये और उन्होंने लगभग २५ पौंड वसूल किये।

चेक पर हस्ताक्षर करनेके बारेमें प्रमुख सदस्योंके बीच मतभेद भी था। मूल नियम यह था कि उनपर अवैतनिक मन्त्रीके हस्ताक्षर और श्री अब्दुल्ला एच° आदम, श्री मूसा हाजी कासिम, श्री पी° दावजी मुहम्मद, श्री हुसेन कासिम, श्री अब्दुल कादिर और श्री दोरास्वामी पिल्लेमें से किन्हीं एकके प्रति हस्ताक्षर हों। एक सुझाव यह था कि अधिक सदस्य हस्ताक्षर करें। एक समय तो इस मतभेदसे कांग्रेसकी हस्तीपर ही खतरा आ गया था। परन्तु सदस्योंकी सद्बुद्धि और ऐसे संकटको टालनेकी उनकी तत्परतासे घटाएँ छंट गईं, और उपर्युक्त परिवर्तन सर्वानुमतिसे स्वीकृत हो गया।

जैसे ही डर्बनमें कांग्रेसका काम कुछ ठीक तरहसे चलने लगा, सर्वश्री दाऊद मुहम्मद, मूसा हाजी आदम, मुहम्मद कासिम जीवा, पारसी रुस्तमजी, पीरन मुहम्मद और अवैतनिक मन्त्री सदस्य बनानेके लिए अपने खर्चसे पीटरमैरित्सबर्ग गये। वहाँ एक सभा हुई और लगभग ४८ सदस्य बने। इसी तरहकी एक दूसरी सभा वेरुलममें हुई। वहाँ करीब ३७ सदस्य बने। सर्वश्री हुसेन कासिम, हाजी, दाऊद, मूसा हाजी कासिम, पारसी रुस्तमजी और अवैतनिक मन्त्री वहाँ गये थे। श्री आमोद भायात, श्री हाजी मुहम्मद और श्री कमरुद्दीनने पीटरमैरित्सबर्ग में तथा श्री इब्राहीम मूसाजी आमोद, श्री आमोद मेतर और श्री पी° नायडूने वेरुलममें सक्रिय सहायता दी।

श्री अमीरुद्दीनने कांग्रेसके सदस्य न होते हुए भी उसके लिए बहुत जरूरी काम किया। श्री एन° डी° जोशीने गुजरातीमें रिपोर्टकी साफ-सुथरी नकल तैयार करनेकी कृपा की है।

कांग्रेसके इस पहले वर्षके प्रारम्भिक कालमें श्री सोमसुन्दरम्ने सभाओंमें दुभाषियेका काम करके और परिपत्रोंका वितरण करके सहायता पहुँचाई। न्यूकै सिल और चार्ल्सटाउनमें भी काम किया गया। वहाँ सदस्योंने दूसरे वर्षके लिए नाम लिखा दिये हैं।

 

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