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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दिखाया। कुछ भी होता, वे चन्दा देनेकी शिथिलताका प्रतिकार कमसे-कम ठीक समय पर और नियमित रूपसे सभाओं में उपस्थित होकर तो कर ही सकते थे। छोटी-छोटी रकमोंका दान प्राप्त करनेके लिए श्री अब्दुल्ला हाजी आदम, श्री अब्दुल कादिर, श्री दोरास्वामी पिल्ले और अवैतनिक मन्त्रीने एक, दो और ढाई शिलिंगके टिकट जारी किये हैं। परन्तु इस योजनाके परिणामोंके बारेमें अभी कोई अनुमान लगाना सम्भव नहीं है।

एक प्रस्ताव इस आशयका भी स्वीकार किया गया है कि कर्मठ कार्यकर्ताओंको प्रोत्साहित करनेके लिए तमगे दिये जायें। परन्तु तमगे अबतक बनवाये नहीं गये हैं।

मृत्यु और विदाई

दुःखके साथ लिखना पड़ता है कि कुछ मास पूर्व श्री दिनशाका देहान्त हो गया।

लगभग १० सदस्य भारत चले गये हैं। उनमें भूतपूर्व अध्यक्ष श्री हाजी आदम के अलावा श्री हाजी सुलेमान, श्री हाजी दादा, श्री मानेकजी, श्री मुतुकृष्ण और श्री रणजीतसिंह शामिल हैं। इन्होंने कांग्रेसकी सदस्यतासे त्यागपत्र दे दिया है।

लगभग २० सदस्योंने अपना चन्दा कभी दिया ही नहीं। उन्हें भी कांग्रेसमें कभी शामिल न होनेवाले ही मानना चाहिए।

सुझाव

सबसे महत्त्वपूर्ण सुझाव यह है कि चन्दा जो कुछ भी हो, पूरे वर्षके लिए पेशगी देनेका नियम बना दिया जाये।

अन्य सूचनाएँ

स्मरण रहे कि कुछ खर्च ऐसा है जो यद्यपि कांग्रेसने मंजूर कर दिया था, फिर भी कभी किया नहीं गया। कमखर्चीका सख्ती के साथ पालन किया गया है। कांग्रेसकी नींव दृढ़ करनेके लिए कमसे कम २,००० पौंडकी आवश्यकता है।

एक अंग्रेजी प्रतिसे।