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पत्र : 'नेटाल मर्क्युरी' को

आमन्त्रित किया। अब जो सार्वजनिक रूपसे कैफियत देना आवश्यक समझा गया है, उसका कारण यह है कि व्यक्तिगत बातचीत में कांग्रेसका मंशा गलत बताया जाने लगा था, और अब आपने (बेशक अनजाने) सार्वजनिक रूपसे उसके बारेमें गलतफहमी फैला दी है।

आपका,

मो° क° गांधी

अवैतनिक मन्त्री

नेटाल भारतीय कांग्रेस

[पुनश्चः]

आपकी जानकारीके लिए मैं इसके साथ नियमावलीकी नकलें, पहले वर्षके सदस्योंकी सूची और पहली वार्षिक रिपोर्ट भेज रहा हूँ।

मो° क° गांधी

[अंग्रेजीसे]
नेटाल एडवर्टाइजर, २५-९-१८९५

 

७३. पत्र : 'नेटाल मर्क्युरी' को[१]

डर्बन
२५ सितम्बर, १८९५

सेवामें
सम्पादक
'नेटाल मर्क्युरी'

महोदय,

लगता है, आपके पत्र-लेखक 'एच' को नेटाल भारतीय कांग्रेसकी स्थापना और अन्य विषयोंकी भी गलत जानकारी मिली है। कांग्रेसकी स्थापना मुख्यतः श्री अब्दुल्ला हाजी आदमके प्रयत्नोंसे हुई है; मैं कांग्रेसकी सब बैठकों में हाजिर रहा हूँ और मैं जानता हूँ कि किसी सरकारी कर्मचारीने उसकी किसी बैठकमें हिस्सा नहीं लिया। नियमावली और अनेकानेक प्रार्थनापत्रोंका मसविदा बनाने की जिम्मेदारी पूरी-पूरी मुझपर है। प्रार्थनापत्रोंको, जबतक वे छपकर कांग्रेस सदस्यों और अन्य

 
  1. 'एच' नामसे किसी पत्र-लेखकने नेटाल मर्क्युरी (२१ सितम्बर, १८९५) को एक पत्र लिखा था। उसमें कहा गया था कि खबर है, कांग्रेस और उसके कामके पीछे एक सरकारी कर्मचारी — एक मजिस्ट्रेट की अदालतके भारतीय दुभाषियेका हाथ है; उसे इस तरहकी शरारत करनेसे रोका जाये।