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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

लोगों में वितरित करनेके लिए तैयार नहीं हो गये, किसी सरकारी कर्मचारीने देखा भी नहीं ।

मो° क° गांधी
अवैतनिक मन्त्री
ने° भा° कां°

[अंग्रेजीसे]
नेटाल मर्क्युरी, २७-९-१८९५

 

७४. भाषण : नेटाल भारतीय कांग्रेसको सभामें[१]

डर्बन
२९ सितम्बर, १८९५

श्री गांधी उपस्थित जनता के सामने देरतक भाषण देते रहे। उन्होंने कहा कि अब तो भारतीय कांग्रेसको स्थापनाका सबको पता हो गया है। अतः सदस्योंको अपना-अपना चन्दा समयपर दे देना चाहिए। श्री गांधीने कहा कि इस समय कांग्रेसके कोष में ७०० पौंड है। पिछली बार मैं हाजिर हुआ था, तबसे यह रकम १०० पौंड अधिक है। किन्तु कांग्रेसकी वर्तमान जरूरतें पूरी करनेके लिए ४,००० पौंडकी जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीयको एक निश्चित समयके अन्दर अपना चन्दा देनेका वचन लिखकर दे देना चाहिए। और प्रत्येक व्यापारीको १०० पौंडको बिक्रीपर कांग्रेसको दो शिलिंग देनेका यत्न करना चाहिए।

श्री गांधीने कहा कि इंग्लैंड में तो कांग्रेसको अभीतक अच्छी सफलता मिली है। किन्तु अब हम भारतसे सफलता के समाचारोंकी प्रतीक्षामें हैं। बहुत सम्भव है कि मैं खुद आगामी जनवरीमें भारत जाऊँ। उन्होंने यह भी कहा कि वहाँ पहुँचनेपर मैं कई अच्छे बैरिस्टरोंको नेटाल आनेके लिए राजी करनेका प्रयत्न करूँगा।

[अंग्रेजीसे]
नेटाल एडवर्टाइजर, २ १०-१८९५

 
  1. नेटाल भारतीय कांग्रेस तत्त्वावधान में रुस्तमजी भवन, डर्बनमें भारतीयोंकी एक बड़ी सभा हुई थी। उसमें गांधीजीने भाषण किया था। उपस्थिति आठ सौ और हजारके बीच थी।