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पत्र : उपनिवेश सचिवको

कार मजिस्ट्रेटके आक्षेपोंको जरा भी महत्त्व देनेकी वृत्ति रखती हो, तो कांग्रेस सदस्य सबसे अधिक स्वागत इस बातका करेंगे कि संस्थाके संविधान और कार्यकी पूरी जाँच कराई जाये।

मैं यह भी कह दूं कि कांग्रेसने अबतक भारतीयोंके किसी आपसी अदालती मामलेमें हस्तक्षेप नहीं किया और वह खानगी झगड़ोंको तबतक हाथमें लेनेसे इनकार करती रही है, जबतक कि उनका कोई सार्वजनिक महत्त्व न हो। कांग्रेसका कोई सदस्य व्यक्तिगत रूपसे कांग्रेसकी ओरसे या उसके नामपर तबतक कोई कार्रवाई नहीं कर सकता, जबतक कि कांग्रेसके नियमोंके अनुसार एकत्रित सदस्योंके बहुमत से वैसा करनेकी स्वीकृति प्राप्त न की गई हो। और कांग्रेसकी बैठक तो अवैतनिक मन्त्रीकी लिखित सूचनासे ही हो सकती है।

अगर सरकारको विश्वास हो कि विवादग्रस्त प्रश्नसे कांग्रेसका कोई सम्बन्ध नहीं है, तो मैं कांग्रेसकी ओरसे नम्रतापूर्वक माँग करता हूँ कि इस हकीकतकी कुछ सार्वजनिक सूचना प्रकाशित कर दी जाये। दूसरी ओर, यदि उसके बारेमें जरा भी शंका हो तो मैं जाँचकी माँग करता हूँ।

मैं कांग्रेसके नियमों, २२ अगस्त, १८९५ को समाप्त होनेवाले पहले वर्षके सदस्योंकी सूची और पहली वार्षिक कार्रवाईकी एक-एक नकल इसके साथ नत्थी कर रहा हूँ।


अगर और किसी जानकारीकी आवश्यकता हो तो वह देने में मुझे बहुत प्रसन्नता होगी।[१]

आपका आज्ञाकारी सेवक,

मो° क° गांधी
अवैतनिक मन्त्री
ने° भा° कां °

[अंग्रेजी से]

कलोनियल ऑफिस रेकर्ड्स, सं० १७९, खण्ड १९२

 
  1. थोड़े ही दिनों बाद सर्वोच्च न्यायालयने सम्राज्ञी बनाम पुन्नूस्वामी पाथेर तथा अन्यके मुकदमे में सुनाई गई सजा इस आधारपर रद कर दी थी कि वह अप्रमाणित साक्ष्यपर आधारित थी। एक महीने बाद, २७ नम्बरको पदयाचीके मुकदमेके फैसले को भी सर्वोच्च न्यायालयने इस आधारपर रद कर दिया था कि उसमें 'अणुमात्र भी साक्षी नहीं थी। देखिए अर्ली फेज, पृष्ठ ४८८।

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