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७८. प्रार्थनापत्र : जो° चेम्बरलेनको[१]

जोहानिसबर्ग
द° आ° ग°
२६ नवम्बर १८९५

सेवामें

परम माननीय जोजेफ चेम्बरलेन
मुख्य उपनिवेश मन्त्री, सम्राज्ञी सरकार
लंदन

नीचे हस्ताक्षर करनेवाले दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यवासी
भारतीय ब्रिटिश प्रजाजनोंका प्रार्थनापत्र

नम्र निवेदन है कि,

प्रार्थी दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यवासी भारतीय समाजके प्रतिनिधियोंकी हैसियत से इस प्रार्थनापत्रके द्वारा आदरके साथ सम्राज्ञी सरकारके सामने फरियाद कर रहे हैं। प्रार्थियोंका निवेदन दक्षिण आफ्रिकी गणराज्यकी संसद द्वारा ७ अक्तूबर, १८९५ को स्वीकृत प्रस्तावके बारेमें है। प्रस्ताव सम्राज्ञी-सरकार और गणराज्य सरकारके बीच हुई सन्धिकी पुष्टि करके गणराज्यवासी तमाम ब्रिटिश प्रजाजनोंको वैयक्तिक सैनिक सेवासे मुक्त करता है। अपवाद यह रखा गया है कि 'ब्रिटिश प्रजाजन' का अर्थ 'गोरे लोग' माना जायेगा।

प्रस्ताव पढ़नेपर प्राथियोंने २२ अक्तूबर, १८९५ को आपको एक तार[२] भेजा था। उसमें उन्होंने गोरे और काले, ब्रिटिश प्रजाजनोंके बीच बरते गये भेद भावपर विरोध प्रकट किया था।

स्पष्ट है कि इस अपवादका लक्ष्य दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य में रहनेवाले भारतीयोंको ही बनाया गया है।

प्रार्थी आपका ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करते हैं कि स्वयं सन्धिमें 'ब्रिटिश प्रजाजन' शब्दोंका कोई विशेष अर्थ नहीं किया गया है। और हमारा

 
  1. सम्राज्ञीके मुख्य उपनिवेश मन्त्रीके नाम दक्षिण भाफ्रिका-स्थित उच्चायुनतके १० दिसम्बर, १८९५ के खरीता सं° ६९५ का सहपत्र। यह १४ मई, १८९६ को ब्रिटिश सरकार के सामने पेश हुआ था; देखिए अर्को फेज, पृष्ठ ५४३।
  2. यह तार उपलब्ध नहीं। इसमें कहा गया था कि प्रार्थनापत्र भेजा जायेगा। पर तारकी प्राप्ति- सूचना संसद सदस्य एच° मो° मार्नोल्ड फोस्टरने दी थी; उन्होंने कहा था : ". . . ट्रान्सवालमें ब्रिटिश भारतीय प्रजाजनोंके प्रति को गई बोअरोंकी कार्रवाईको मैं घोर अपमानजनक तो मानता ही हूँ, पर इतना ही नहीं, मैं यह भी मानता हूँ कि यदि उसपर अधिक आग्रह किया जाये तो सम्भव है कि उसके फल-स्वरूप कुछ ऐसी समस्याएँ उठ खड़ी हों जिनका प्रभाव बोअर राज्यकी सीमासे बाहर भी काफी व्यापक होगा।" देखिए अलीं फेज, पृष्ठ ५४२।