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भारतीयोंका मताधिकार
शिक्षक … … …
फोटोग्राफर … … …
दुभाषिये … … …
दुकान-नौकर … … …
नाई … … …
शराबकी दुकानके नौकर … … …
प्रबन्धक … … …
 
५०
  … … …

बागवान और अन्य

शाक व्यापारी … … …
किसान … … …
घरेलू नौकर … … …
मछुए … … …
बागवान … … … २६
दिये जलानेवाले … … …
गाड़ीवान … … …
सिपाही … … …
मजदूर … … …
हजूरिए … … …
बावर्ची … … …
 
५०
 
२५१
 

मेरा खयाल है कि मतदाता सूची में अयोग्य या निम्नतम दर्जेके भारतीयोंके भर जानेके भयको दूर करनेमें निष्पक्ष लोगोंको इस विश्लेषण से भी मदद मिलनी चाहिए । कारण, इसमें सबसे बड़ी — बहुत बड़ी — संख्या व्यापारी वर्गकी या तथाकथित अरब' वर्गकी है। इन्हें तो मत देनेके बिलकुल अयोग्य नहीं माना जाता।

दूसरे शीर्षकके नीचे जिनका वर्गीकरण किया गया है, वे या तो व्यापारी वर्गके हैं या उस वर्गके हैं, जिसने काम चलानेके लिए अच्छी अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की है।

तीसरे विभागके लोगोंको ऊँचे दर्जेके मजदूर कहा जा सकता है। वे औसत दर्जे के गिरमिटिया भारतीयोंसे बहुत ऊँचे हैं। ये लोग २० वर्षसे अधिक समय से सपरिवार उपनिवेशमें बसे हुए हैं, और या तो जमीन-जायदाद के मालिक हैं या अच्छा किराया चुकाते हैं। मैं यह भी कह दूं कि अगर मेरी जानकारी सही है तो इन मतदाताओं में से ज्यादातर अपनी मातृभाषा लिख-पढ़ सकते हैं। इस प्रकार, अगर भारतीयोंकी वर्तमान मतदाता सूची भविष्य के लिए मार्गदर्शिकाका काम दे और मान