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पत्र : 'नेटाल मर्क्युरी' को

लोग संसारके बड़ेसे-बड़े बुद्धिशालियोंके अनेक उदाहरण देकर बताते हैं कि बौद्धिक जीवनके लिए यदि अन्नाहार मांसाहारकी अपेक्षा अधिक अच्छा नहीं तो अधिक पर्याप्त अवश्य है। उनका कहना है कि दुनियाके सभी बड़ेसे-बड़े प्रतिभाशाली लोग खास तौरसे अपनी श्रेष्ठ पुस्तकें लिखते समय तो मांस-मदिराका संयम करते ही रहे हैं। अन्नाहारियोंकी पत्र-पत्रिकाओंसे मालूम होता है कि जहाँ तमाम दवाइयाँ तथा गोमांस और उसके काढ़े बिलकुल व्यर्थ हो गये, वहाँ अन्नाहार शानके साथ सफल हुआ है। हृष्ट-पुष्ट अन्नाहारी यह बताकर अपने आहारकी श्रेष्ठता सिद्ध करते हैं कि दुनियाके किसान करीब-करीब अन्नाहारी हैं, और सबसे मजबूत और उपयोगी जानवर — घोड़ा शाकाहारी है, जब कि सबसे हिंस्र और बिलकुल निरुपयोगी जानवर — सिंह मांसाहारी है। अन्नाहारी नीतिके समर्थक इस बातपर अफसोस करते हैं कि स्वार्थी मनुष्य अपनी अति प्रबल और विकारी भूख मिटानेके लिए मनुष्य जातिके एक समुदायपर कसाईका पेशा लादते हैं, जब कि वे स्वयं ऐसा पेशा करनेसे सिहर उठेंगे। अन्नाहारी नीतिवादी इसके अलावा, प्रेमके साथ हमसे यह याद रखनेकी विनय करते हैं कि मांसाहार और शराबके बिना ही मनोविकारोंको रोकना और शैतानके पंजेसे बचे रहना हमारे लिए काफी कठिन है, इसलिए हम मांस और मदिराका आश्रय लेकर अपनी इस कठिनाईको और न बढ़ा लें। साधारणतः मांस और मदिरा तो साथ-साथ ही चलते हैं, क्योंकि उनका दावा है कि अन्नाहार, जिसमें रसीले फलोंका सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान होता है, शराबखोरीका सबसे सफल इलाज है, मांसाहारसे शराबकी आदत पड़ती या बढ़ती है। उनका तर्क यह भी है कि मांसाहार न केवल अनावश्यक है, बल्कि शरीरके लिए हानिकर भी है। इसलिए उसकी लत अनैतिक और पापमय भी है। उसके कारण निर्दोष पशुओंपर अनावश्यक क्रूरता बरतना और उन्हें पीड़ा पहुँचाना आवश्यक होता है। अन्तमें अन्नाहारी अर्थशास्त्री प्रतिवादकी आशंकाके बिना दावा करते हैं कि अन्नाहार सबसे सस्ता आहार है और उसे आम तौरपर अख्तियार कर लिया जाये तो आज भौतिकवादकी द्रुत प्रगति और थोड़ेसे लोगोंके पास भारी सम्पत्तिके संग्रहके साथ-साथ सामान्य लोगोंमें दरिद्रताकी जो द्रुत गतिसे वृद्धि हो रही है, उसका अन्त करनेमें नहीं तो उसे घटा देनेमें निश्चय ही बहुत मदद मिलेगी। जहाँतक मुझे याद है, डाक्टर लुई कूनेने अन्नाहारकी आवश्यकतापर केवल शरीर-विज्ञानकी दृष्टिसे जोर दिया है। उन्होंने उन नौसिखियोंको कोई ताकीदें नहीं कीं, जिन्हें तरह-तरहके अन्नाहारमें से अपने उपयुक्त वस्तुएँ चुन लेना और उन्हें ठीक ढंगसे पकाना हमेशा बहुत कठिन मालूम होता है। मेरे पास अन्नाहार पाक-विज्ञान सम्बन्धी चुनी हुई पुस्तकें हैं, जिनकी कीमत एक पेंससे लेकर एक शिलिंगतक है। कुछ पुस्तकें इस विषयके विभिन्न पहलुओंकी विवेचना भी करती है। इस विषयकी सस्ती पुस्तकें मुफ्त बाँटी जाती हैं। परन्तु अगर आपके कोई पाठक चिकित्साकी इस नई प्रणालीका दूरसे कौतुक करना नहीं, बल्कि उसपर अमल करना चाहते हों तो, अन्नाहारसे सम्बन्धित, जो पुस्तकें मेरे पास हैं वे मैं खुशीसे उन्हें दे सकूंगा। जो लोग 'बाइबिल' में विश्वास रखते हैं उनके विचारके लिए मैं निम्नलिखित उद्धरण पेश करता हूँ। 'पतन' के पहले हम अन्नाहारी थे :

 

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