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९३. पत्र : सी° बर्डको

डर्बन
१८ मई, १८९६

श्री सी° बर्ड
मुख्य उपसचिव
औपनिवेशिक कार्यालय
पीटरमै रित्सबर्ग

महोदय,

माननीय प्रधान मन्त्रीके नाम नेटाल भारतीय कांग्रेस-सम्बन्धी मेरे पत्रके उत्तरमें आपका १६ ता° का पत्र सं° २८३७/९६ मुझे मिला।

इस विषय में मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि कांग्रेसकी बैठकें हमेशा खुलेआम होती हैं और उनमें अखबारोंके लोगों तथा जनताको आनेकी इजाजत रहती है। कुछ यूरोपीय सज्जनोंको, जिनके बारेमें कांग्रेस सदस्योंका खयाल है कि वे बैठकों में दिलचस्पी रखते होंगे, खास तौरसे आमन्त्रित किया गया था। एक सज्जन आमन्त्रण स्वीकार करके बैठकमें आये भी थे। अनामन्त्रित यूरोपीय प्रेक्षक भी एक-दो बार कांग्रेसकी बैठकोंमें आये हैं।

कांग्रेसके एक नियममें यह व्यवस्था है कि यूरोपीयोंको उपाध्यक्ष बननेके लिए आमन्त्रित किया जा सकता है। इस नियमके अनुसार, दो सज्जनोंसे पूछा भी गया था कि क्या वे इस सम्मानको स्वीकार करेंगे? परन्तु वे राजी नहीं हुए। कांग्रेसकी बैठकोंकी कार्रवाई नियमित रूपसे लिखी जाती है।[१]

आपका आज्ञाकारी सेवक,

मो° क° गांधी

अवैतनिक मन्त्री, नेटाल भारतीय कांग्रेस

अंग्रेजी (एस° एन° ९८३) से।

 
  1. सर जॉन रॉबिन्सनने संसद में इस पत्रका उल्लेख करते हुए कहा था कि उनको कोई स्पष्टीकरण नहीं करना है और उन्होंने पत्र-व्यवहारका संक्षिप्त सार प्रस्तुत कर दिया।