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९४. प्रार्थनापत्र : जो° चेम्बरलेनको

डर्बन
२२ मई, १८९६

सेवामें

परम माननीय जोजेफ चेम्बरलेन
मुख्य उपनिवेश-मन्त्री, सम्राज्ञी-सरकार
लंदन

नीचे हस्ताक्षर करनेवाले नेटालवासी भारतीय
ब्रिटिश प्रजाजनोंका प्रार्थनापत्र

नम्र निवेदन है कि,

प्रार्थी मताधिकार कानून संशोधन विधेयकके सम्बन्ध में महानुभावके विचारके लिए नीचे लिखा निवेदन पेश करना चाहते हैं। यह विधेयक नेटाल सरकारकी ओरसे नेटालकी विधानसभा में पेश किया गया है। १३ मई, १८९६को कुछ संशोधनोंके साथ इसका तीसरा वाचन हुआ था।

विधेयकका पाठ, जैसा कि वह ३ मार्च, १८९६ के नेटाल गवर्नमेंट 'गजट 'में प्रकाशित हुआ था, निम्नलिखित है :

मताधिकार सम्बन्धी कानूनके संशोधनार्थ :

चूँकि मताधिकार सम्बन्धी कानूनका संशोधन करना जरूरी है,
इसलिए नेटालको विधान परिषद और विधानसभाके परामर्श तथा सहमति के साथ और उनके द्वारा महामहिमामयी सम्राज्ञी निम्नलिखित कानून बनाती हैं :
१. कानून सं° २५, १८९४ रद कर दिया जाये, और वह इसके द्वारा रद किया जाता है।

२. जो लोग इस कानूनके खण्ड ३ के अमलके अन्तर्गत हैं उन्हें छोड़कर किन्हीं दूसरे व्यक्तियोंको, जो (यूरोपीय वंशके न होते हुए) इसी देशके हों, या ऐसे देशोंके निवासियोंकी पुरुष-शाखाके वंशज हों, जिनमें अबतक चुनाव-मूलक प्रातिनिधिक संस्थाएँ नहीं हैं, तबतक किसी निर्वाचक सूची या मतदाता-सूची में नाम लिखानेका, या १८९३ के संविधान-कानूनके खण्ड २२ के, अथवा विधानसभा-सदस्यों के चुनाव-सम्बन्धी किसी अन्य कानूनके अर्थके अन्तर्गत निर्वाचकको हैसियतसे मत देनेका हक नहीं होगा, जबतक कि वे सपरिषद गवर्नर से इस कानून के अमलसे बरी किये जानेका आदेश प्राप्त न कर लें।