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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


. . . फिर, अगर हम मान भी लें कि भारतीयोंको 'चुनावमूलक प्रातिनिधिक संस्थाओं' के देशसे आये हुए करार दिया जायेगा, तो भी हम नहीं मानते कि हमारे आक्रान्त हो जानेका खतरा जरा भी सम्भव है; क्योंकि पिछले अनुभवने साबित कर दिया है कि भारतीयोंका जो वर्ग साधारणतः यहाँ आता है वह मताधिकारकी चिन्ता नहीं करता। इसके अलावा, उनमें से अधिकतर मताधिकारके लिए आवश्यक थोड़ी-सी सम्पत्तिजन्य योग्यता भी नहीं रखते। फिर हम एक ही साम्राज्यके अंग हैं। उसके प्रति हमारा उत्तरदायित्व हमें भारतीयों को भारतीयोंके ही नाते मताधिकार-जैसे विशेषाधिकारके प्रयोगसे वंचित करनेकी इजाजत नहीं देता। इसलिए, जहाँतक हमारा सम्बन्ध है, ऐसा रुख कारगर होनेवाला नहीं है। और उसे छोड़ देना ही अच्छा है। अगर नये कानूनको व्यवस्थाएँ मतदाता सूचीमें अवांछित लोगोंका आना न रोक सकें तो हम मताधिकारके लिए अपेक्षित योग्यताको बढ़ा सकते हैं। इससे हमें रोकनेवाली चीज क्या है? अभी साम्पत्तिक योग्यता बहुत थोड़ी है। इसलिए उसे बढ़ाकर दूना भी किया जा सकता है। शिक्षा-सम्बन्धी योग्यताकी शर्त भी मढ़ी जा सकती है। इससे यूरोपीय मतदाता तो एक भी खारिज न होगा, परन्तु भारतीय मतदाताओंपर व्यापक असर पड़ेगा। भारतीयों में लगभग १०० पौंडकी अचल सम्पत्ति रखनेवालों या २० पौंड सालाना किराया देनेवालों और अंग्रेजी लिखपढ़ सकनेवालोंकी संख्या बहुत ही कम होगी। यदि यह उपाय विफल हो जाये तो हम मिसिसिपि योजना या परिस्थितियों के अनुकूल उसका कोई संशोधित रूप स्वीकार कर सकते हैं। इससे हमें रोकनेवाली कोई चीज नहीं होगी। (५ मार्च, १८९६)

इस तरह, सरकारी मुखपत्रके अनुसार ही स्पष्ट है कि वर्तमान सम्पत्तिजन्य योग्यता, मतदाता सूची में भारतीयोंकी किसी भी अनुचित भरमारको रोकने के लिए काफी है। और यह भी कि वर्तमान विधेयकका एकमात्र उद्देश्य भारतीय समाजको — उसे खर्चीली मुकदमेबाजीमें झोंक देना है। सताना

१८९५ के 'मॉरिशस आलमैनक' के अनुसार, १८९४ में 'सामान्य आबादी ' शीर्षकके अन्तर्गत मॉरिशसकी आबादी १,०६,९९५ थी। इसके मुकाबले भारतीयोंकी संख्या २,५९,२२४ बताई गई थी। वहाँ मताधिकारकी योग्यता इस प्रकार है :

प्रत्येक पुरुषको किसी भी वर्ष किसी भी निर्वाचन क्षेत्रको मतदाता सूची में नाम दर्ज करानेका, और नाम दर्ज हो जानेपर उस क्षेत्रसे परिषद के सदस्य के चुनावमें मत देनेका हक होगा। उसमें ये योग्यताएँ होनी चाहिए :

१. उसने २१ वर्षकी उम्र प्राप्त कर ली हो।
२. उसपर कोई कानूनी प्रतिबन्ध न हो।

३. वह जन्म अथवा निवासके आधारपर ब्रिटिश प्रजा हो।