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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


५-९ जुलाई : बम्बई पहुँचे। माताके देहान्तका समाचार सुनकर शोकविह्वल।
जौहरी, कवि और सन्त श्री राजचन्द्रसे भेंट, जिन्हें आगे चलकर उन्होंने धार्मिक प्रज्ञामें टॉल्स्टॉय से बड़ा माना और जो उनके जीवनपर प्रभाव डालनेवाले तीन महापुरुषों में से एक हुए। विलायत यात्राके बारेमें जातीय निषेधका भंग करनेके कारण नासिक जाकर प्रायश्चित्त किया।

राजकोट पहुँचे और अपने भाई लक्ष्मीदासके साथ रहे।

२० जुलाई : फिर जाति में शामिल किये गये, यद्यपि अब भी जातिके एक हिस्सेने बहिष्कार कायम रखा।
१६ नवम्बर : बम्बईके उच्च न्यायालय में बैरिस्टरीकी इजाजतके लिए आवेदन।

१८९२

मार्च-अप्रैल : परिवारके बच्चोंको आधुनिक ढंगकी शिक्षा देना आरम्भ किया। पोशाक और भोजन में पश्चिमी ढंग अपनाया।
१४ मई : काठियावाड़ एजेन्सीकी अदालतोंमें बैरिस्टरी करनेकी इजाजत गजट' में सूचना निकालकर दी गई।
राजकोटमें बैरिस्टरी करना कठिन महसूस करके अनुभव प्राप्त करनेके लिए बम्बई गये। एक मित्रके साथ आहार-सम्बन्धी प्रयोग। घबराहटके कारण पहला मुकदमा छोड़ दिया और अर्जियाँ लिखनेका काम पसन्द किया। शिक्षकका काम करनेकी विवशता महसूस की, परन्तु ग्रैजुएट न होनेके कारण नियुक्ति नहीं हुई। छः मासके बाद बम्बईका सारा कामकाज समेटकर भाईके साथ काम करनेके लिए राजकोट वापस। उनके साथ काम करते हुए अर्जियाँ, आवेदनपत्र आदि लिखकर तीन सौ रुपये मासिकतक कमाने लगे।

१८९३

अप्रैल : दादा अब्दुल्ला ऐंड कम्पनीने दक्षिण आफ्रिकामें कानूनी कामके लिए आमन्त्रित किया। इस अवसरका लाभ उठाकर तत्परता से डर्बनके लिए रवाना। एक वर्षमें वापस आनेके इरादेसे पत्नी और बच्चेको राजकोटमें ही छोड़ दिया।
मई : महीनेके अन्त-अन्तमें नेटाल बन्दरगाह पहुँचे। वहाँ भारतीयोंके प्रति अनादरकी भावना महसूस करके चकित और उद्विग्न हुए।
मई-जून : पहुँचने के दूसरे या तीसरे दिन डर्बनकी अदालत में गये। जब पगड़ी उतारनेके लिए कहा गया, अदालत छोड़कर चले जाना पसन्द किया। इस घटना के बारेमें पत्रोंको लिखा। उन्हें 'अवांछनीय अतिथि' कहकर पुकारा गया, परन्तु उनके नामका प्रचार बहुत हुआ। सात या आठ दिन बाद मुवक्किलके कामसे प्रिटोरिया गये। रेल और घोड़ागाड़ीकी यात्रा में रंगभेदका बहुत कटु अनुभव। रंगभेदके ‘रोगको समूल नष्ट कर देने' और 'इस कार्यमें जो भी कठिनाइयाँ आयें उन्हें सहने का संकल्प किया। अटर्नी और धर्मोपदेशक बेकरने उन्हें रंगभेदकी चेतावनी दी और उनके लिए एक गरीब स्त्रीके धाबेमें रहनेका प्रबन्ध कर दिया।