पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 1.pdf/४०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३५९
तारीखवार जीवन-वृत्तान्त


बेकरकी प्रार्थना सभाओंमें गये और श्री कोट्स जो क्वेकर थे तथा कुमारी हैरिस व कुमारी गैब-जैसे ईसाइयोंसे परिचय और मित्रता। प्रिटोरियावासके पहले हफ्ते में सेठ तैयब हाजी खाँ से भेंट और ट्रान्सवालके भारतीयोंकी हालतपर मेमन व्यापारियोंकी सभा में भाषण। भारतीय निवासियोंके कष्टोंको दूर करानेके लिए संघ बनानेका सुझाव और इस काम में मदद करनेका आश्वासन दिया। प्रिटोरियावास से उन्हें ट्रान्सवाल तथा ऑरेंज फ्री स्टेटके भारतीयोंकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थितिका गहरा ज्ञान हुआ। अध्यक्ष क्रूगरके निवास-स्थानके पास पैदल पटरीसे धक्के और लात मारकर ढकेल दिये गये; परन्तु गोरे हमलावरपर मुकदमा चलानेसे इस आधारपर इनकार कर दिया कि मैं निजी शिकायतोंको दूर करानेके लिए कभी अदालत में नहीं जाऊँगा। इस घटनासे भारतीयोंके पैदल-पटरियोंपर चलनेके विरुद्ध लगी पाबन्दियोंका अनुभव।
२२ अगस्त - २ सितम्बर : प्राणयुक्त आहारके प्रयोग। इस बीच श्री कोट्स तथा अन्य ईसाई मित्रोंके निरन्तर सम्पर्कसे ईसाई धर्म-सम्बन्धी पुस्तकें पढ़ने और उन मित्रोंके साथ विचार-विमर्श करनेकी प्रेरणा हुई। परन्तु 'बाइबिल' और ईसाई धर्मकी उनकी व्याख्याएँ स्वीकार करना कठिन मालूम हुआ।

१८९४

अप्रैल : अपने मुवक्किल दादा अब्दुल्लाका मुकदमा तैयार करते हुए महसूस किया कि कानूनी काममें सत्यका महत्त्व सर्वोपरि है। विश्वास हो गया कि मुकदमे-बाजी एक गलत चीज है, और मुकदमेको मध्यस्थ द्वारा निबटा दिया। काम पूरा हो जानेपर डर्बन वापस।
विदाईकी दावतके समय 'नेटाल मर्क्युरी' में यह घोषणा पढ़ी कि भारतीयोंका मताधिकार छीननेके लिए कानून बनाया जानेवाला है। उपस्थित भारतीय व्यापारियोंको उसका प्रतिरोध करनेकी सलाह। उनका अनुरोध कि एक महीने तक ठहरकर आन्दोलनका नेतृत्व करें।

एक भाग्य निर्णायक निश्चय।

इस समय गंभीर धार्मिक अध्ययन आरम्भ किया। टॉल्स्टॉय कृत 'किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू' का उनके मनपर बहुत प्रभाव पड़ा। इंग्लैंडके ईसाई मित्रोंसे पत्र व्यवहार। भारतमें भी रायचन्दभाई जैसे धर्मचिन्तकोंके साथ, जिनके पाससे हिन्दूधर्मके सम्बन्धमें अपने प्रश्नोंके उत्तर पाकर उनकी शंकाओंका निवारण हुआ, लिखा-पढ़ी।
२२ मई (?) : प्रमुख भारतीय व्यापारियोंकी सभाम रंगभेदके कानूनका विरोध करनेके लिए कमेटीकी स्थापना।
२७ जून : नेटाल विधानसभा के अध्यक्ष, प्रधानमन्त्री रॉबिन्सन और महान्यायवादी एस्कम्बके नाम तार कि जबतक भारतीयोंका प्रार्थनापत्र पेश न हो जाये, मताधिकार कानून संशोधन विधेयकपर विचार स्थगित रखा जाये। विधेयकपर विचार दो दिन के लिए स्थगित।