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तारीखवार जीवन-वृत्तान्त

१८९५

अप्रैल : डर्वनके पास ट्रैपिस्ट मठ देखने गये। वहाँ आध्यात्मिक दृष्टिकोणसे अन्नाहारका प्रयोग होते देखकर बहुत प्रभावित हुए।
६ अप्रैल : भारतीय पंच-फैसलेके मामलेमें असन्तोषजनक निर्णयके विरुद्ध ब्रिटिश भारतीय व्यापारियोंकी कमेटीके द्वारा उच्चायुक्तको प्रार्थनापत्र भेजा।
५ मई से पूर्व : भारतीय प्रवासी विधेयकमें गिरमिटको नया करनेकी धाराओंके विरुद्ध नेटाल विधानसभा से अपील।
१४ मई के पश्चात् : पंच-फैसले में भारतीयोंके व्यापारिक अधिकारोंको अदालतोंकी दयापर छोड़ दिया गया था, उस अन्यायके विरुद्ध लॉर्ड रिपनसे फिर अपील। भारतके वाइसराय लॉर्ड एलगिनसे भारतीयोंके खिलाफ भेदभाव के कानूनों और उनपर लादी गई निर्योग्यताओंके विषय में हस्तक्षेप करनेकी माँग।
१७ जून : गिरमिटिया भारतीय मजदूर बालसुन्दरम्‌के मामलेकी पैरवी की और उसे मुक्त कराया। इस मामले से गिरमिटिया मजदूरोंके साथ सम्पर्क स्थापित हुआ।
२६ जून : प्रवासी विधेयककी उन धाराओंके विरुद्ध विधान परिषदको प्रार्थनापत्र, जिनका असर गिरमिटिया मजदूरोंपर पड़ता था।
११ अगस्त : चेम्बरलेनको लम्बा प्रार्थनापत्र, जिसमें गिरमिट मुक्त भारतीयोंसे ३ पौंड शुल्क वसूल करनेकी व्यवस्थापर आपत्ति की गई थी। लॉर्ड एलगिनसे हस्तक्षेप करने या और अधिक मजदूरोंको भेजना बन्द करनेका अनुरोध।
२९ अगस्त : लंदन में, दादाभाई नौरोजी दक्षिण आफ्रिकाके ब्रिटिश भारतीयोंके दुखड़ोंके सम्बन्धमें चेम्बरलेनके पास एक शिष्टमण्डल ले गये।
१२ सितम्बर : चेम्बरलेनने नेटाल सरकारको सूचित किया कि सम्राज्ञी सरकार मताधिकार विधयकको ज्योंका त्यों स्वीकार नहीं करती।
२५ – ३० सितम्बर : गांधीजीने अखबारोंको लिखकर इस आरोपको नामंजूर किया कि कांग्रेस एक गुप्त संस्था है, या वे स्वयं उसके वेतनभोगी कर्मचारी हैं। परन्तु यह जिम्मेदारी स्वीकार की कि उसका विधान मैंने ही तैयार किया है।
२२ अक्तूबर : नागरिकोंको अनिवार्य सैनिक सेवासे मुक्त रखनेवाली सैनिक भरती संधिमें 'ब्रिटिश नागरिकों' का जो यह अर्थ लगाया गया था कि ये शब्द केवल गोरे लोगोंतक ही सीमित हैं, उसके विरोध में ब्रिटिश भारतीय रक्षा समिति और जोहानिसबर्गके भारतीयों द्वारा चेम्बरलेनको तार।
१८ नवम्बर : नेटाल सरकारने उपनिवेश-मन्त्रीको मताधिकार विधेयकका नया मसविदा भेजा। यूरोपीयोंने लेडीस्मिथ, सैलिसबरी और बेलेयर आदि स्थानोंमें एशियाई कानूनोंके समर्थन में सभाएँ कीं।
२६ नवम्बर : गांधीजीने सैनिक भरती संधिमें भारतीयोंके प्रति भेदभावके विरुद्ध चेम्बरलेनको प्रार्थनापत्र भेजा।
१६ दिसम्बर : 'इंडियन फ्रैंचाइज : एन अपील टु एवरी ब्रिटन इन साउथ आफ्रिका' नामक पुस्तिका प्रकाशित की।