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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

१८९६

२३ जनवरी : गांधीजीने नेटालकी अदालत में गुजराती दुभाषिएके कामके लिए आवेदन किया।
२७ जनवरी: लंदनके 'टाइम्स'ने गांधीजीका उल्लेख इन शब्दों में किया : "एक ऐसा व्यक्ति, जो अपने दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीय बन्धु-प्रजाजोंके हितके प्रयत्नोंके कारण आदरका अधिकारी है।"
२६ फरवरी : बस्ती बसाने के नियमोंके विरुद्ध जुलूलैंडके गवर्नरको प्रार्थनापत्र भेजा।
३ मार्च : नेटालके सरकारी गजट' में मताधिकार विधेयकका नया मसविदा, जो विधानसभा में पेश किया गया था, प्रकाशित।
५ मार्च : वस्ती बसानेके नियमोंके विरुद्ध प्रार्थनापत्र सरकार द्वारा नामंजूर कर दिया गया।
११ मार्च : गांधीजीने बस्ती बसाने के नियमोंके विरुद्ध चेम्बरलेनको प्रार्थनापत्र भेजा।
२७ अप्रैल : अपने-अपने देश में मताधिकारका उपभोग न करनेवाले विदेशियोंको मताधिकार से वंचित करनेवाला विधेयक संशोधित रूपमें नेटालकी संसद में पेश। नेटालके भारतीयों द्वारा उक्त विधेयकके विरुद्ध विधानसभा, पीटरमैरित्सबर्गको प्रार्थनापत्र।
६ मई : मताधिकार विधेयकका दूसरा वाचन।
७ मई : गांधीजीने चेम्बरलेन और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी ब्रिटिश समितिको तार दिया कि जबतक भारतीयोंका प्रार्थनापत्र पेश न कर दिया जाय तबतक मताधिकार विधेयक या उसमें किये गये संशोधन स्वीकार न हों।
१३ मई : विधानसभा में मताधिकारका तीसरा वाचन समाप्त और स्वीकार।
२६ मई : डर्बनके भारतीय समाजके प्रतिनिधियोंने गांधीजीको, जो भारत जानेवाले थे, अधिकार दिया कि वे "भारतके सत्ताधीशों, नेताओं और लोक-संस्थाओंको दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंके दुखड़ोंका परिचय दें।"
२ जून : नेटाल भारतीय कांग्रेसकी ओरसे गांधीजीको मानपत्र भेंट।
४ जून : डर्बनके भारतीयों द्वारा कांग्रेस सभा भवन में आयोजित विदाई-सभा में गांधीजीको मानपत्र भेंट।
५ जून : गांधीजी भारतके लिए रवाना।