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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रति उत्तरदायी सरकारी अफसरोंके हाथ में रहे। सभा ४४ सदस्योंकी थी। ताज द्वारा नियुक्त अधिकारियोंको छोड़कर शेष सब सदस्योंके निर्वाचनकी व्यवस्था थी।

१९०६ में शाही फरमानके द्वारा लिटल्टन संविधान रद कर दिया गया और उपनिवेशको स्वशासनका अधिकार प्राप्त हुआ। इसपर ट्रान्सवालने गोरे लोगोंके लिए पुराने गणराज्य के नमूनेका वयस्क पुरुष-मताधिकार प्रचलित किया। परन्तु गैर-गोरे लोगोंको कानूनी अधिकार प्रदान किये गये। वतनी लोगोंको मताधिकार देनेका प्रश्न तबतक के लिए स्थगित रखा गया, जबतक कि प्रातिनिधिक संस्थाओंकी स्थापना और गोरे लोगों के बहुमतका शासन सुनिश्चित न हो जाये। द्वितीय सदन या विधान परिषदको ऑरेंज रिवर उपनिवेशके नमूनेकी नामजद संस्था बना दिया गया। १९०८ के आम चुनावों के बाद सरकारने बहुत से प्रतिबन्धात्मक कानून बनाये।

संघ

दक्षिण आफ्रिकाके चारों राज्योंका १९९० में एक संघीय राज्य बना दिया गया। संघीय राज्यके शासनतन्त्र में सपरिषद गवर्नर-जनरल, और उसकी मददके लिए अनिश्चित संख्या में कार्यपालिकाके सदस्य तथा राज्य विभागोंके मन्त्री थे। मन्त्रियोंकी संख्या १० से अधिक नहीं हो सकती थी।

संघीय राज्यकी प्रभुसत्ता उसकी संसदके हाथों में थी, जिसका संगठन सम्राट् और संसद के दोनों सदनों-सीनेट और विधानसभाको मिलाकर हुआ था। दोनों सदनोंको वित्तीय विषयोंको छोड़कर शेष सब विषयोंमें कानून बनानेके बराबर अधिकार थे। सब विधेयकोंका दोनों सदनोंमें स्वीकृत होना आवश्यक था। अगर कोई गतिरोध उत्पन्न हो जाये, तो वह दोनों सदनोंकी संयुक्त बैठक द्वारा हल किया जाता था। संसदको अपना ही संविधान बदल देनेका अधिकार था। केवल तीन उपधाराएँ ऐसी थीं जिनको बदलनेके लिए दोनों सदनोंकी संयुक्त बैठकमें दो-तिहाई बहुमतकी आवश्यकता थी। ये उपधाराएँ (१) अंग्रेजी और डचको राज्य-भाषाएँ मान्य करने, (२) मताधिकार में कोई ऐसे परिवर्तन करने, जिनसे कि रंग या जाति के आधारपर केप-निवासियों के मत देनेके अधिकार घटते हों, और (३) संसदको उपर्युक्त दो तथा स्वयं इस उपधाराको छोड़कर शेष विधान में साधारण द्विसदनीय प्रक्रिया द्वारा संशोधन करनेका अधिकार देनेसे सम्बन्ध रखती थीं।

विधानसभाका चुनाव प्रत्यक्ष सार्वजनिक मत द्वारा ५ वर्षके लिए होता था। उसमें १५९ स्थान थे और वे सब यूरोपीयोंके लिए निश्चित थे। इनमें से १५० का चुनाव चारों प्रान्तोंके मतदाता, ६ का दक्षिण-पश्चिमी अफ्रिकाके यूरोपीय मतदाता और ३ का केपके आफ्रिकी मतदाता करते थे। मतदाता (१) २१ वर्षकी आयुके ऊपरके यूरोपीय होते थे। प्रवासी ६ वर्षतक और ब्रिटिश प्रजाजन ५ वर्षतक संघ में रहनेके बाद नागरिकता प्राप्त करनेके लिए अर्जी दे सकते थे। यह विषय गृहमन्त्री के विवेकाधिकारमें था। (२) केप उपनिवेश और नेटालके साक्षर रंगीन पुरुषोंको, जिनकी या तो ७५ पौंड वार्षिक आय हो या जिनके पास ५० पौंड मूल्यकी अचल सम्पत्ति हो, मत देनेका अधिकार था। और केवल केपमें साक्षर आफ्रिकी पुरुषोंको, जो या