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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दोनों राज्योंको अर्जी भेज दो। मेरे लड़के केवलरामसे[१] मिल लो और अगर तुम्हें आर्थिक सहायता पाने में सफलता न मिले, और तुम्हारे पास भी रुपया न हो, तो अपना साज-सामान बेच डालो। परन्तु किसी भी तरह मोहनदासको लंदन तो भेज ही दो। मैं समझता हूँ कि तुम्हारे स्वर्गवासी पिताको प्रतिष्ठा बनाये रखनेका एकमात्र उपाय यही है।" मावजी जोशी जो कुछ भी कहते हैं उसपर हमारे परिवारके सभी लोगोंको बड़ा भरोसा रहता है। और मेरे भाई तो स्वभावसे ही बड़े भोले हैं। उन्होंने मावजी जोशीसे मुझे लंदन भेजनेका वादा कर दिया। अब मेरे प्रयत्नोंकी बारी आई।

मेरे भाईने बातको गुप्त रखनेका जो वचन दिया था उसके बावजूद उसी दिन खुशालभाईसे[२] सब-कुछ कह दिया। बेशक, खुशालभाईने बात पसन्द की। शर्त इतनी ही थी कि मैं अपने धर्मका पालन कर सकूँ। उसी दिन मेघजीभाईको[३] भी बता दिया गया। वे प्रस्तावसे बिलकुल सहमत हो गये और उन्होंने मुझे ५,००० रुपये देनेकी तैयारी भी दिखाई। मुझे उनकी बातपर कुछ भरोसा हो गया था; परन्तु जब बात मेरी प्यारी माँके सामने प्रकट की गई तो उन्होंने मेरे इतने भोलेपनपर मुझे फटकार सुनाते हुए कहा कि समय आनेपर तुम्हें उनसे कुछ भी रुपया न मिलेगा। उनका खयाल तो यह था कि जानेका अवसर ही कभी नहीं आयेगा।

उस दिन मुझे केवलरामभाईके पास [जाना] था। मैं उनसे मिला। वहाँ मेरी बातचीत सन्तोषजनक नहीं रहीं। उन्होंने मेरे लक्ष्यको तो पसंद किया परन्तु कहा यह कि "तुम्हें वहाँ कमसे-कम दस हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे।" मेरे लिए तो यही एक बड़ा धक्का था, परन्तु उन्होंने आगे यह भी कहा — "अगर तुम्हारे मनमें कोई धार्मिक आग्रह हों तो उनको तुम्हें छोड़ देना होगा। तुम्हें मांस खाना पड़ेगा, शराब पिये बिना भी काम न चलेगा। उसके बिना वहाँ तुम जी नहीं सकते। जितना ज्यादा खर्च करोगे उतने ही ज्यादा होशियार बनोगे। यह बात बहुत महत्त्वकी है। मैं तुमसे साफ-साफ कहता हूँ। बुरा न मानना। पर देखो, तुम अभी बहुत छोटे हो। लंदन में प्रलोभन बहुत हैं। तुम उनके फंदे में फँस जाओगे।" मेरे मन में इस बातचीतसे कुछ खिन्नता उत्पन्न हुई। परन्तु मैं एक बार इरादा कर लेनेपर उसे सरलतासे छोड़ देनेवाला आदमी नहीं हूँ। उन्होंने अपनी बात कहते हुए श्री गुलाम मुहम्मद मुंशीका उदाहरण दिया। मैंने उनसे पूछा कि क्या आप मुझे छात्रवृत्ति पाने में कोई सहायता पहुँचा सकते हैं? उन्होंने नकारात्मक जवाब दिया और कहा — इसके अलावा और सब कुछ बहुत खुशीसे करूँगा। मैंने अपने भाईको सब बातें बता दीं।

 
  1. काठियावाड़ के प्रमुख वकील।
  2. गांधीजीके चचेरे भाई और दक्षिण आफ्रिका में गांधीजीके सहकर्मी श्री छगनलाल गांधी व श्री मगनलाल गांधी के पिता।
  3. गांधीजीके चचेरे भाई।