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श्र

सम्पूर्ण गांधी वाहमय

इस विषयमें कुछ अधिकार रखनेवाले एक डाक्टरके कथनानुसार, इंग्लैंडकी जैसी ठंडी आबहवामें मकक्‍्खनका बहुत उपयोग जैसा हानिकारक हो सकता है वैसा भारतकी जैसी गर्म आबहवामें नहीं होसकता, फिर भरे ही वह गुणकारी भी न हो। शायद पाठक महसूस करेंगे कि आहारके उपर्युक्त प्रकारोंमें फ्ोंका, निस्सन्देह जो सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आहार है, अमाव खेदजनक और खटकनेवारा है। इसके अनेक कारणोम से कुछ ये है कि भारतीय फलोंका उचित महत्त्व नही जानते, गरीब छोगोमें अच्छे फल खरीदनेका सामर्थ्य नही हैऔर बड़े-बड़े शहरोको छोड़कर शेष सारे भारतमें अच्छे फल प्राप्य नही हैं। हाँ, कुछ ऐसे फल जरूर हैँजो यहाँ नहीं पाये जाते और जिनका उपयोग भारतके सब वर्गोके लोग करते है। परन्तु खेदकी वात है कि उनका सेवन अतिरिक्त आहारके रूपमें किया जाता है, भोजनके अंशके रूपमें नहीं। रासायनिक दृष्टिसि उनके ग्रणोकी जानकारी किसीकों नहीं है, क्योंकि उनके विद्लेषणका कष्ट कोई नहीं उठाता।

[अंग्रेजीसे वेजिटेरियन,

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९. भारतीय अन्नाहारी-३ पिछले लेखमें चपातियों या रोटियोंकी वावत “ बादमें अधिक ” लिखनेका वादा

किया गया था। ये रोटियाँ आमतौरपर गेहूंके आटेकी वनाई जाती हैं। पहले गेहूँको

हाथ-चब्कीमें पीस लिया जाता है। हाथ-चक्‍्की यंत्रसे चलनेवाली मिल नहीं, गेहूँ पीसनेका बिलकुल सादा उपकरण होती है। ग्रेहुँका यह आटा मोटी चलनीसे छाना जाता

है, जिससे मोटा-मोठा चोकर अछूग हो जाता है। हाँ, गरीब वर्गोर्मे चालनेकी यह

क्रिया नहीं की जाती। यह आठा ठीक वही तो नहीं होता जिसका उपयोग यहांके भन्नाहारी करते है; फिर भी यहाँ मनमाने तौरपर काममें छाई जानेवाली “सफेद डबलरोटी ' के आटेसे कहीं अच्छा होता है। छगमग आधा सेर आटेमें चायका चम्मच-भर शुद्ध किया हुआ, अर्थात्‌ उवालूकर और छानकर ठंढा किया हुआ मक्खन

मिला दिया जाता है। वैसे यह क्रिया, मक्खन ताज़ा हो तो, गैर जरूरी है। फिर इसे काफी पानी डालकर आटेको हाथोंसे माइ़कर एक-सी करके पिण्डी बना

आकार ली जाती है। बादमें इसकी दैजियरके संतरेके बरावर छोटी-छोटी, समान बने हुए तौरसे खास लिए कामके इसी लोइयोंको इन की छोइयाँ बनाई जाती है।

लछकड़ीके बेलनसे वेछा जाता है और लगभग ६-६ इंच व्यासकी पतली, गोछाकार चकतियाँ [चपातियाँ] वनाई जाती है। प्रत्येक चपाती तवेपर [और फिर अंग्रारों पर] अलग-अलग अच्छी तरह सेंकी जाती है। इस प्रकार एक चपातीको सेंकनेमें पाँचसे लेकर सात मिनटतक छूगते हैं। यह चपाती या रोटी मक्खन [घी] के

साथ गर्म-गर्म खाई जाती है और बड़ी स्वादिष्ट होती है। इसे बिलकुल ठंडी हो