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भारतीय अन्नाहारी-१

आप भली-भाँति जानते है कि इंग्लैंडमें रहन-सहन बहुत खर्चीला है। मुझे जो थोड़ा-सा अनुभव हुआ है उससे मैं देखता हूँ कि भारतमें रहते हुए मैंने जितना समझा था उससे भी खर्च बहुत ज्यादा है। आप जानते ही हैं कि मेरे साधन बहुत सीमित है। मेरा खयाल है कि मैं किसीकी सहायताके बिना तीन वर्षका पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर सकूँगा। जब मैं सोचता हूँ कि आपको मेरे पिताजीसे बहुत स्नेह था और आपने उन्हें अपना मित्र माना था तो मुझे इसमें बहुत कम सन्देह होता है कि आप उनसे सम्बन्ध रखनेवाली बातोंमें भी वही दिलचस्पी रखेंगे। मुझे विश्वास है कि आप मुझे कोई ऐसी अच्छी मदद दिलानेकी भरसक कोशिश करेंगे, जिससे इस देशमें मुझे अपनी पढ़ाई पूरी करने में सहूलियत हो। इससे मेरी जबर्दस्त जरूरत पूरी होगी और मैं आपका बड़ा आभार मानूंगा।

कुछ दिन हुए मैंने डा० बटलरसे भेंट की थी। वे मुझपर बहुत मेहरबान हैं और उन्होंने वादा किया है कि वे जो भी मदद कर सकेंगे, करेंगे।

अबतक मौसम बहुत उग्र नहीं रहा। मैं बहुत मजे में हूँ। परम आदरके साथ,

आपका विश्वस्त,

मो० क० गांधी

[अंग्रेजीसे]

महात्मा, खंड १; तथा एक फोटो-नकलसे ।

७. भारतीय अन्नाहारी--१

भारतमें ढाई करोड़ (२५ मिलियन) लोग निवास करते हैं। वे भिन्न-भिन्न जातियों और धर्मोके हैं। इंग्लैंडके जो लोग भारत नहीं गये, या जिन्होंने भारतीय मामलोंमें बहुत कम दिलचस्पी ली है, उनका सामान्य विश्वास यह है कि सारे भारतीय जन्मसे ही अन्नाहारी अथवा निरामिषाहारी हैं। यह केवल आंशिक रूपमें सही है। भारतके निवासी तीन मुख्य वर्गों में बँटे हुए हैं। वे वर्ग हैं हिन्दू, मुसलमान और पारसी।

हिन्दू और भी चार मुख्य वर्णोंमें बँटे हुए हैं : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । इन सबमें सिद्धान्तकी दृष्टिसे तो केवल ब्राह्मण और वैश्य ही शुद्ध अन्नाहारी हैं, परन्तु व्यवहारमें प्रायः सभी भारतीय अन्नाहारी हैं। कुछ लोग तो स्वेच्छासे अन्नका आहार करते हैं, परन्तु शेषके लिए अन्नाहार अनिवार्य है। इनमें से पहले वर्गके लोग मांस खानेके इच्छुक तो हमेशा रहते हैं, परन्तु वे गरीब इतने हैं कि मांस खरीद नहीं सकते। भारतमें हजारों लोगोंको केवल एक पैसा ( पेंस) रोजपर गुजारा करना पड़ता है, इस वस्तुस्थितिसे मेरे कथनकी पुष्टि होगी। ये लोग सिर्फ रोटी और भारी कर-लदे नमकपर निर्वाह करते हैं; क्योंकि भारत जैसे दरिद्रता-ग्रस्त देशमें

१.मूल लेखमें २५० मिलियन' की जगह '२५ मिलियन' ही दिया है, जो स्पष्टतः छपाईकी