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११. भारतीय अन्नाहारी--५

पिछले लेख में हमने देखा कि हिन्दू अन्नाहारियोंकी शारीरिक कमजोरीका कारण उनका आहार नहीं, कुछ और ही है। हमने यह भी देखा कि जो ग्वाले अन्नाहारी हैं वे मांसाहारियोंके बराबर ही ताकतवर हैं। ग्वाला अन्नाहारियोंका एक बहुत अच्छा नमूना है, इसलिए उसके रहन-सहनका अवलोकन कर लेना लाभदायक होगा। परन्तु पहले पाठकोंको बता दिया जाये कि जो-कुछ आगे लिखा जा रहा है वह भारतके सब ग्वालोंपर नहीं, एक अमुक हिस्सेके ही ग्वालोंपर लागू होता है। जिस तरह स्काटलैंडके निवासियोंकी आदतें इंग्लैंडके निवासियोंकी आदतोंसे भिन्न हैं, ठीक वैसे ही भारतके एक स्से में रहनेवाले लोगोंकी आदतें दूसरे हिस्से में रहनेवाले लोगोंकी आदतों से भिन्न हैं।

तो, भारतीय ग्वाला आमतौरपर पाँच बजे सुबह सोकर उठता है। अगर वह भक्ति-भाववाला हो तो सबसे पहले ईश्वरकी प्रार्थना करता है। फिर हाथ-मुँह धोता है। यहाँ मैं पाठकोंको उस 'ब्रुश' का परिचय दे देनेके लिए, जिससे भारतीय अपने दाँत साफ करते हैं, थोड़ा-सा विषयान्तर कर लूं। वह 'ब्रुश' और कुछ नहीं,'बबूल' नामके एक काँटेदार पेड़की टहनी है। टहनीके लगभग एक-एक फुटके टुकड़े काट लिये जाते हैं। काँटे तो सब छील ही दिये जाते हैं। भारतीय उसके एक सिरेको चबाकर उसकी दाँत साफ करने लायक नरम कुँची बना लेते हैं इस प्रकार वे रोजाना अपने लिए एक नया और घरमें बना 'ब्रुश' तैयार कर लेते है। जब वे अपने दाँतोंको घिसकर मोती जैसे उज्ज्वल कर लेते हैं, तब उस टहनीको चीरकर दो फाँकें करते हैं और एक फाँकको मोड़कर उससे अपनी जीभ खरोंचते या साफ करते हैं। शायद औसत दर्जे के भारतीयोंके दाँत मजबूत और सुन्दर होनेका कारण सफाईकी यह क्रिया ही है। कदाचित् यह कहना अनावश्यक होगा कि वे किसी दन्त-मंजनका उपयोग नहीं करते। बूढ़े लोग, जब उनके दाँत दतौनको चबाने लायक नहीं रहते, छोटी-सी हथौड़ी काममें लाते हैं। इस सारी क्रियामें २०-२५ मिनटसे ज्यादा समय नहीं लगता।

तो, अब फिर ग्वालेकी ओर लौटें। बादमें वह बाजरा (एक अनाज, जिसे आंग्ल-भारतीय भाषामें 'मिलेट' कहा जाता है और जिसका गेहूँके बदले या उसके अलावा बहुत उपयोग होता है) की मोटी रोटी, घी और गुड़ का नाश्ता करता है। लगभग आठ-नौ बजे सुबह उन सब जनवरोंको लेकर, जो उसकी देखभाल में दिये जाते है चराने चला जाता है। चरागाह आमतौरपर उसके कस्बेसे दो या तीन मील दूर और पहाड़ी प्रदेशके किसी भू-खण्डमें होती है। उसपर लहलहाती हुई घास- पत्तियोंका हरा गलीचा बिछा होता है। इस प्रकार उसे प्राकृतिक दृश्योंके बीच ताजीसे-ताजी हवाका आनन्द लेनेका अनुपम अवसर मिलता है। जब जानवर इधर-उधर