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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

त्योहारोंके दिन कोई आदमी किसी दूसरेसे लड़ाई-झगड़ा नहीं करता और न किसीको कोसता है। कोसनेकी नाशकारी आदत खास तौरसे निम्न वर्गके लोगोंमें बहुत फैली हुई है। संक्षेपमें, प्रत्येक बात शान्तिमय और आनन्दमय होती है। जीवन भाररूप होनेके बजाय पूर्णतः आनन्द मनानेके योग्य होता है। यह समझ लेना कठिन नहीं कि इस तरहके त्योहारोंका परिणाम अच्छा और दूरतक प्रभाव डालनेवाला हुए बिना नहीं रह सकता। कुछ लोग इन त्योहारोंको अंधविश्वास और उचक्केपनका प्रतीक बताते हैं। परन्तु सचमुच तो ये मानव-जातिके लिए वरदान-रूप हैं और कठोर परिश्रम करनेवाले करोड़ों लोगोंको जीवनके नीरस ढर्रे में बहुत हदतक राहत पहुँचाते हैं।

यद्यपि दिवालीका उत्सव सारे भारतमें मनाया जाता है, उसे मनानेकी पद्धति भिन्न-भिन्न प्रान्तोंमें भिन्न-भिन्न है। इसके अलावा यह तो हिन्दुओंके सबसे बड़े त्योहारका एक कच्चा, अपूर्ण वर्णन-मात्र है। परन्तु ऐसा नहीं मान लेना चाहिए कि इस उत्सवका कोई दुरुपयोग नहीं होता। सब दूसरी बातोंके समान इस त्योहारका भी कलुषित पहलू हो सकता है, और शायद है भी। परन्तु उसे छोड़ देना ही अच्छा होगा। इतना निश्चय है कि इससे जो भलाई होती है वह तौलमें बुराईसे बहुत ज्यादा है।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन, ४-४-१८९१

१५. कुछ भारतीय त्योहार -३

दिवालीके त्योहारके बाद सबसे ज्यादा महत्त्वका त्योहार होली है, जिसका संकेत २८ मार्चके 'वेजिटेरियन 'में किया गया था ।

स्मरण होगा कि होलीका त्योहार समयकी दृष्टि से ईस्टरका जोड़ीदार है। होली हिन्दू वर्षके पांचवें महीने फाल्गुनकी पूर्णिमाको मनाई जाती है। यह ठीक वसन्तका मौसम होता है। पेड़-पौधे फूलते हैं। गरम कपड़े छोड़ दिये जाते हैं। महीन कपड़ोंका चलन शुरू हो जाता है। जब हम मन्दिरोंमें दर्शन करने जाते हैं तो और भी प्रत्यक्ष हो जाता है कि वसन्त-ऋतुका आगमन हो गया है। किसी मन्दिरमें प्रविष्ट होते ही (और उसमें प्रविष्ट होनेके लिए आपका हिन्दू होना जरूरी है) आपको मधुर पुष्पोंकी सुवास ही सुवास मिलेगी। सीढ़ियोंपर बैठे हुए भक्तजन ठाकुरजीके लिए मालाएं बनाते दिखलाई पड़ेंगे। फूलोंमें आपको चमेली, मोगरा आदिके सुन्दर फूल देखनेको मिलेंगे। जैसे ही दर्शनके लिए पट खोले गये कि आपको पूरे वेगसे फुहार छोड़ते हुए फुहारे दिखाई देंगे; मन्द-सुगन्ध पवनका आनन्द मिलेगा। ठाकुरजी मृदुल रंगोंके हलके वस्त्र धारण किये होंगे। सामने फूलोंकी राशियाँ और गलेमें मालाओंके पुंज उन्हें आपकी दृष्टिसे लगभग छिपाये होंगे। वे इधरसे उधर झुलाये जाते होंगे और उनका झूला भी सुगन्धित जल छिड़की हुई हरी पत्तियोंसे सजा होगा।