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भारत के आहार

और अनुवाद किया जाये तो, मेरा खयाल है, इसका अर्थ होगा--"आपको ज्वारका अभाव कभी न हो! " चावलकी भी, खास तौरसे बंगालमें, रोटियाँ बनाई जाती है। बंगाली लोग गेहूँसे ज्यादा चावल काममें लाते हैं। दूसरे प्रदेशोंमें चावलका उपयोग रोटी बनानेके लिए शायद ही कभी किया जाता है। चनेका भी गेहूँके साथ मिलाकर या बिना मिलाये कभी-कभी वही उपयोग किया जाता है। अंग्रेज लोग उसे 'ग्राम' कहते हैं। वह स्वाद और आकारमें बहुत-कुछ मटरसे मिलता-जुलता है। इससे मैं अनेक प्रकारकी दालोंके विषयपर आ जाता हूँ। दालें शोरबा बनानेके काम आती है। चना, मटर, मसूर, सेम, अरहर, मूग, मोठ और उड़द सालनके काम आनेवाली मुख्य दालें हैं। इनमें से, मेरा खयाल है, अरहर सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। ये दोनों प्रकारके अन्न मुख्यतः पककर सूख जानेपर काममें आते हैं। अब मैं हरी शाक-सब्जीपर आता हूँ। आपको सभी शाक-साब्जियोंके नाम बताना तो बेकार होगा। उनकी संख्या इतनी बड़ी है कि मैं ही बहुतोंको नहीं जानता। भारतकी मिट्टी इतनी उपजाऊ है कि उसमें आप जो चाहें वही शाक-सब्जी पैदा हो सकती है। इसलिए हम निर्विवाद कह सकते है कि कृषिका उचित ज्ञान होनेपर भारतकी जमीनमें दुनियाकी कोई भी शाक-सब्जी उपजाई जा सकती है।

अब रहे फल और कवची मेवे। मुझे यह कहते खेद है कि भारतमें फलोंके महत्त्वका उचित ज्ञान नहीं है। फलोंका उपयोग तो खूब होता है, परंतु उन्हें विशेष भोजनके पदार्थोंके तौरपर ही ज्यादा खाया जाता है। ज्यादातर उन्हें स्वास्थ्यके लिए नहीं, स्वादके लिए खाया जाता है। इसलिए हम संतरे, सेब आदि जैसे गुणकारी फल बहुत नहीं पैदा करते। फलतः वे धनिकोंको ही उपलब्ध हैं। परन्तु मौसमी फल तथा सूखे मेवे बहुत होते हैं। दूसरे सब स्थानोंके समान भारतमें भी गर्मीका मौसम पहले प्रकारके फलोंके लिए सबसे अच्छा होता है। इन फलोंमें आम सबसे ज्यादा महत्त्वका है। मैंने अबतक जो फल चखे हैं, उनमें वह सबसे स्वादिष्ट है। कुछ लोगोंने अनन्नासको सबसे अच्छा बताया है। परंतु जिन्होंने आमका स्वाद चखा है उनमें से ज्यादातर लोग तो उसके ही पक्षमें हाथ उठाते हैं। आम मौसममें तीन महीने उपलब्ध रहता है। सस्ता भी बहुत होता है। फलतः धनी और गरीब दोनों उसका रसास्वादन कर सकते हैं। मैने तो यहाँतक सुना है कि कुछ लोग सिर्फ आमपर ही उदर-निर्वाह करते हैं--अलबत्ता सिर्फ मौसममें। परन्तु दुर्भाग्यसे आम ऐसा फल है, जो बहुत दिनतक टिका नहीं रहता। स्वादमें वह आडसे मिलता-जुलता और गुठलीवाला फल होता है। बहुधा वह छोटे खरबूजेके बराबर होता है। इससे हम खरबूजेपर आते हैं। ये भी गर्मी में खूब होते हैं। यहाँ जो खरबूजे मिलते हैं उनसे वे बहुत अच्छे होते हैं। परन्तु अब मुझे अधिक फलोंके नाम गिनाकर आपको उकताना नहीं चाहिए। इतना कहना काफी होगा कि भारतमें असंख्य किस्मोंके मौसमी फल पैदा होते हैं, जो बहुत दिनतक नहीं टिकते। ये सब फल

१.मालूम होता है, गांधीजीने 'ज्वार' (अनाज) और 'जुहार' (कुछ भारतीय भाषाओंमें अभिवादन-शब्द) को गड़बड़ा दिया है।