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आवेदनपत्र: एडवोकेट बननेके लिए

उसमें एक प्रति एच० एस० साल्ट कृत 'ए प्ली फॉर वेजिटेरियनिज्म' की भी थी। उसे पढ़ने के बाद मैंने अन्नाहारको सैद्धान्तिक रूपमें स्वीकार कर लिया।

तबतक मैं मांसको वैज्ञानिक दृष्टिसे ज्यादा अच्छा आहार समझता था। इसके अलावा, उसी जलपान-गृहमें मुझे मालूम हुआ था कि मैचेस्टरमें एक अन्नाहारी संघ है। परन्तु मैने उसमें कोई सक्रिय दिलचस्पी नहीं ली। मैं कमी-कमी 'वेजिटेरियन मेसेंजर' पढ़ लिया करता था, इससे अधिक कुछ नहीं। 'वेजिटेरियन' की जानकारी तो मुझे एक-डेढ़ वर्षसे ही है। ऐसा कहा जा सकता है कि लंदनके अन्नाहारी संघकी जानकारी मुझे अन्तर्राष्ट्रीय अन्नाहारी कांग्रेसमें हुई थी। कांग्रेसकी बैठककी सूचना मुझे श्री जोशुआ ओल्डफील्डके सौजन्यसे प्राप्त हुई थी। उन्होंने एक मित्रसे मेरे बारेमें सुना था और मुझसे कांग्रेसमें शामिल होनेको कहा था। अन्तमें मुझे कहना होगा कि इंग्लैंडमें लगभग तीन वर्ष रहते हुए ऐसे कई काम है जो मैंने नहीं किये, और कई काम ऐसे किये हैं, जिन्हें शायद न करता तो अच्छा होता। फिर भी मुझे यह एक महान संतोष है कि मैंने शराब और मांसका सेवन नहीं किया; उनसे बचकर भारत लौट रहा हूँ। और अपने व्यक्तिगत अनुभवसे जानता हूँ कि इंग्लैंड में भी बहुत-से अन्नाहारी मौजूद हैं।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन, २०-६-१८९१

२१. आवेदनपत्र: एडवोकेट बननेके लिए

बम्बई

१६ नवम्बर, १८९१

सेवामें

प्रोथोनोटरी व रजिस्ट्रार

उच्च न्यायालय

बम्बई

महोदय,

मैं उच्च न्यायालयका एडवोकेट बननेका इच्छुक हूँ। मैंने गत १९ जूनको इंग्लैंडमें बैरिस्टरीकी सनद प्राप्त की है और इनर टेम्पलमें बारह सत्र पूरे किये हैं।मैं बम्बई प्रान्तमें बैरिस्टरी करना चाहता हूँ।

मैं इसके साथ अपनी बैरिस्टरीका प्रमाणपत्र पेश कर रहा हूँ।जहाँतक मेरे चालचलन और योग्यताके प्रमाणपत्रका संबंध है, मैं इंग्लैंडके किसी न्यायाधीशसे कोई प्रमाणपत्र नहीं ले सका, क्योंकि मुझे बम्बई उच्च न्यायालयमें प्रचलित नियमोंका ज्ञान नहीं था। तथापि मैं श्री डब्ल्यू० डी० एडवर्ड्सका प्रमाणपत्र पेश कर रहा हूँ। वे इंग्लैंडके सर्वोच्च न्यायालयके बैरिस्टर और 'कॉम्पेडियम ऑफ द लॉ ऑफ