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स्वदेश वापसीके मार्गमें-२

अदन पहुँचनेपर हमें हवाके कुछ झकोरे मिले। हम (बम्बई जानेवाले यात्रियों)-को यहाँ जहाज बदलकर 'आसाम' जहाजमें बैठना था। यह वैसा ही था जैसा कि लन्दनको छोड़कर किसी दीन-हीन गाँवमें जाना। 'आसाम' जहाज आकार-प्रकारमें 'ओशियाना' का शायद आधा भी न होगा।

मुसीबतें कभी अकेली नहीं आतीं। 'आसाम' में बैठने के बाद समुद्र में तूफानका भी सामना करना पड़ा, क्योंकि मौसम वर्षारम्भका था। हिन्द महासागर आम तौर पर शान्त रहता है, इसलिए वर्षाकालमें वह क्षुब्ध होकर सारी कसर निकाल लेता है। हमें बम्बई पहुँचने में समुद्रपर पाँच दिन ज्यादा बिताने पड़े। दूसरी रातको तूफान अपने सच्चे रूपमें प्रकट हुआ था। बहुत-से लोग बीमार हो गये थे। अगर कोई छतपर जानेका साहस करता तो उछलता हुआ पानी झपाटा मारता था। कहीं कुछ कड़ाका होता, कहीं कुछ टूट कर गिरता ! कोठरीमें शान्तिपूर्वक सोया नहीं जा सकता था। दरवाजा फटफटाता रहता। सामान नाचने लगता। बिस्तरपर पड़े लोग बेलन जैसे लुढ़कते। कभी-कभी लगता कि जहाज डूब रहा है। भोजनकी मेज पर अब कोई आराम नहीं। जहाज आजू-बाजू लुढ़कता है। उससे काँटे-चम्मच, शोरबेकी रकाबियाँ और सिरका तेल आदिकी शीशियोंके स्टैंड भी गोदमें आ गिरते है। तौलिया पीला रंग जाता है। इसी तरह जाने क्या-क्या होता है।

एक सुबह मैंने परिचारकसे पूछा कि क्या इसे ही असल तूफान कहा जाता है? उसने जवाब दिया : "जी नहीं, यह तो कुछ भी नहीं है।" और उसने अपना हाथ डुलाकर बताया कि असली तूफानमें जहाज कैसे लुढ़कता है।

इस तरह उछलते और गिरते हुए हम ५ जुलाईको बम्बई पहुँचे। उस समय बड़े जोरोंकी वर्षा हो रही थी, इसलिए तटपर जाना कठिन था। फिर भी हम सकुशल तटपर पहुँच गये और हमने 'आसाम' से विदा ली।

'ओशियाना' और आसाम 'में क्या खूब मनुष्य-रूपी असबाब भरा था! कुछ लोग बड़ी-बड़ी आशाएँ लेकर आस्ट्रेलियामें धन कमानेके लिए जा रहे थे; कुछ इंग्लैंडमें अपनी पढ़ाई समाप्त करके सभ्यजनोचित जीविका उपार्जित करनेके लिए भारत जा रहे थे; कुछ कर्त्तव्यकी पुकारसे आये थे; कुछ स्त्रियाँ भारत या आस्ट्रेलियामें अपने पतियोंसे मिलने जा रही थीं और कुछ साहसिक लोग थे, जो अपने घरसे निराश होकर अपने साहसके कार्योंको आगे बढ़ानेके लिए भगवान' जाने कहाँ जा रहे थे!

क्या सबकी आशाएँ पूर्ण हुई ? यह सवाल है। मनुष्यका मन कितना आशापूर्ण होता है, और फिर भी कितनी बार वह निराशाका शिकार होता रहता है! हम आशाओंपर ही तो जीते हैं।

[अंग्रेजीसे]

वेजिटेरियन, १६-४-१८९२