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२२०. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सोमवार [जून २८, १९१० ]

नेटाली जत्थेके लोग

नेटाली जत्थेके सर्वश्री रामबिहारी, राजकुमार, बरजोरसिंह, काजी दादामियाँ, ईसप कोलिया, पी० के० देसाई, कारा नानजी और तुलसी जूठाको तीन-तीन महीनेकी कैद दी गई थी; वे रिहा कर दिये गये हैं। ये सभी लोग प्रसन्न थे ।

लॉर्ड ग्लैड्स्टनके पास शिष्टमण्डल

लॉर्ड ग्लैड्स्टनके यहाँ आते ही श्री काछलियाने उन्हें एक शिष्टमण्डलको भेंट देनेके बारेमें लिखा था। अब उसका उत्तर आया है कि वे शिष्टमण्डलसे नहीं मिल सकते क्योंकि उन्हें उनके मन्त्रियोंने बताया है कि वे संघसे संघर्षके सम्बन्धमें कई बार बातचीत कर चुके हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि सत्याग्रहियोंको अपने बलपर ही भरोसा करना है।

थम्बी नायडू

[ आप ] अभीतक प्रिटोरियामें हैं। उन्हें कहीं भेजा जायगा, यह तय नहीं हुआ है।

डेविड एंड्र

[ श्री डेविड ऐंड्र, ] श्री सेमुएल जोज़ेफ और श्री नायनाको फिर निर्वासित करनेके लिए प्रिटोरिया ले गये हैं।

टॉल्स्टॉय फार्म

इस फार्ममें अब एक पाठशाला खुल गई है। इसमें श्री गांधी सोमवार और गुरुवारके अतिरिक्त नित्य दोसे पाँच बजे तक पढ़ाते हैं। फिलहाल विद्यार्थी हैं, श्री गोपाल, श्री चिनन, श्री कुपुसामी और उनके दो पुत्र ।

भवन निर्माणका काम चल रहा है। इसमें सात भारतीय बढ़ई बिना मजदूरी काम करने आ चुके हैं। यह श्री काछलिया, श्री अस्वात और श्री फैंसी आदि लोगोंके प्रयाससे हुआ है। रविवारको लगभग ६० बढ़ई इकट्ठे हुए थे। तब एक निश्चय यह किया गया कि जो बढ़ई फार्मपर काम करने न जा सकें वे १२-१२ शिलिंग देंगे । इस तरह बहुत से बढ़इयोंने १२-१२ शिलिंग दिये और ७ फार्ममें काम करनेके लिए चले गये। वे कुछ समय तक बिना मजदूरी लिए काम करेंगे। इस प्रकारकी जातीय- भावनाके लिए वे बधाईके पात्र हैं। १. देखिए “तार : वाइकाउंट ग्लैडस्टनके सचिवको”, पृष्ठ २७५ । २. तारीख २३-६-१९१० का ।