पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/३४५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२२२. तार : द० आ० ब्रि० भा० समितिको

जोहानिसबर्ग,
जुलाई १, १९१०

निर्वासितोंका नेटाल प्रवेश अस्वीकृत । जंजीबार वापस लौटे; वहाँ उतरनेसे रोके गये । थम्बी नायडू और अन्य व्यक्ति निर्वासित किये गये, लौटे, दण्डित किये गये । रायप्पन रिहा, निर्वासित किये जा

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
सी० डी० ५३६३ ।

२२३. सत्याग्रह फार्म

सत्याग्रह फार्मका जो विवरण प्रकाशित किया गया है उसकी ओर हम सभी पाठकोंका ध्यान आकर्षित करते हैं। सब लोग देख सकते हैं कि इस फार्ममें महत्त्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है। वहाँ जाकर बसनेवालोंकी संख्या बढ़ती जा रही है। इस फार्मको प्रोत्साहन देनेसे लड़ाईका अन्त शीघ्र हो सकता है, यह बात भी समझने योग्य है । यह स्पष्ट है कि यदि लड़ाई लम्बी चलती है तो भी लोग बेफिक्रीसे लड़ सकें, ऐसी व्यवस्था फार्ममें है।

ऐसे अवसरपर जो लोग जेल जाकर लड़ाईमें हाथ नहीं बँटाते, उनका क्या कर्तव्य है ? सत्याग्रही फार्ममें बहुत कम खर्चमें रह सकते हैं; फार्मके काममें सहायता देकर प्रत्येक भारतीय वहाँके निवासियोंका जीवन सुविधाजनक बना सकता है। यदि प्रत्येक भारतीय बढ़इयोंका अनु करें तो खर्चमें बहुत बचत हो सकती है। 'बूंद- बूंदसे सरोवर भरता है' इस लोकोक्तिके अनुसार यदि काफी बड़ी तादादमें भारतीय थोड़ी-थोड़ी सहायता दें तो इसमें किसीपर कुछ बोझ न पड़ेगा। प्रत्येक भारतीयको इसपर विचार करना चाहिए ।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, २-७-१९१०

१. अप्रैलमें ६० सत्याग्रही भारतको निर्वासित किये गये थे । उनमें से २६ फिर गिरफ्तार होनेके लिए बम्बईसे वापस लौट आये। डर्बन पहुँचनेपर उनमें से ९ सत्याग्रहियोंको उतरनेकी अनुमति नहीं दी गई और वे वापस भेज दिये गये। मार्गमें उन्होंने जंजीवार में उतरनेका प्रयत्न किया। देखिए “सत्याग्रही", पृष्ठ २९३-९४ और "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी ", पृष्ठ ३०० । २. देखिए "जोहानिसबर्गकी चिट्ठी ", पृष्ठ ३०० ।