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२२६. भाषण : टॉल्स्टॉय फार्ममें

रविवार, जुलाई ३, १९१०

...श्री गांधीने योजनाको सफल बनानेमें सभीका आह्वान करते हुए कहा कि सब फार्मवासी गरीब हैं, इसलिए उनके उपयोग के लिए लोग जो कुछ भेज सकें, भेजें। उन्होंने कहा, ऐसा करके वे संघर्षको चलाने में ठोस सहायता पहुँचायेंगे ।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-७-१९१०

२२७. पत्र : ट्रान्सवालके गवर्नर जनरलके निजी सचिवको

[ जोहानिसबर्ग ]
जुलाई ४, १९१०

महोदय,

मेरे संघकी समितिने निश्चय किया है कि परमश्रेष्ठको निकट भविष्यमें उनके जोहानिसबर्ग आगमनके अवसरपर एक नम्रतापूर्ण और निष्ठापूर्ण मानपत्र भेंट किया जाये और इसके लिए उनकी अनुमति मांगी जाये। परन्तु मेरी समितिको लॉर्ड सेल्बोर्नको' मानपत्र भेंट करते समय जो बाधा पड़ी थी उसके कारण हिचक होती रही है। उस समय मेरी समितिको पहले तो यह सूचित किया गया था कि संघका मानपत्र अन्य सार्वजनिक संस्थाओंके मानपत्रोंके साथ, उसी समय और उसी स्थान- पर ग्रहण किया जायेगा; परन्तु ऐन वक्तपर संघके कार्यालयको खबर भेज दी गई कि लॉर्ड महोदय उस मानपत्रको निजी रूपमें ग्रहण करेंगे और अन्तमें वही किया भी गया । तब मेरे संघकी समझमें आया कि संघके मानपत्रको अन्य मानपत्रोंके साथ उसी समय और उसी स्थानपर ग्रहण करनेका निर्णय इस देशमें एशियाई और रंग- दार लोगोंके विरुद्ध वर्तमान पूर्वग्रहोंके कारण ही बदला गया था। मेरे संघको बड़ा " १. इस सभामें श्री कैलेनबैकको धन्यवाद देनेका प्रस्ताव भी पास किया गया था। देखिए "जोहा- निसबर्गकी चिट्ठी ", पृष्ठ ३०९-१० । २. इस पत्रका मसविदा अनुमानतः गांधीजीने तैयार किया था और यह ब्रिटिश भारतीय संघके अध्यक्ष, श्री अ० मु० काछलियाके हस्ताक्षरोंसे भेजा गया था । ३. हर्बेर्ट जॉन ग्लैड्स्टन (१८५४-१९३०); दक्षिण आफ्रिकाके पहले गवर्नर जनरल और उच्चायुक्त ( १९१०-१४) । ४. देखिए अगला शीर्षक । ५. ट्रान्सवाल्के उच्चायुक्त और गवर्नर, १९०५-१० ।