पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/३५०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२२९. श्री रायप्पन

श्री रायप्पन रिहा कर दिये जानेपर भी रिहा नहीं हुए। वे रिहा किये गये हैं; किन्तु १४ तारीखको उन्हें निर्वासित किया जायेगा। इस उदाहरणसे हम संघर्षकी स्थितिका अनुमान कर सकते हैं। वे जब पिछली बार रिहा किये गये थे उस समय लोगोंसे मिलने-जुलनेकी कुछ दिनकी मोहलतके लिए उन्हें ५० पौंडकी जमानत देनी पड़ी थी। इस बार वे जेलसे अपनी निजी जमानतपर रिहा किये गये हैं। उन्हें किसी कागजपर दस्तखत भी नहीं करने पड़े। भारतीयोंकी साख इतनी बढ़ गई है। अब सत्याग्रहीकी बातपर इस तरह विश्वास किया जाने लगा है।

जेलमें भी अधिकारियोंके तरीके बदल गये हैं। वार्डर सत्याग्रहियोंको धमकी देनेमें डरते हैं, क्योंकि सत्याग्रही अन्यायको चुप रहकर सहन नहीं करते।

कॉमन्स सभामें श्री ओ'ग्रेडीने जो प्रश्न पूछा था; इसके बारेमें भी साम्राज्य-. सरकारने आश्वासन दिया है कि इस मामले में लिखा-पढ़ी चल रही है। इतना होने- पर भी कौन कहेगा कि इस समय संघर्ष जीवित नहीं है ? संघर्ष जीवित ही नहीं है, बल्कि जबतक उसमें श्री रायप्पन जैसे लोग हैं तबतक वह दमक रहा है और उसका प्रभाव फैलता जाता है ।

प्रत्येक भारतीयको श्री रायप्पनके उदाहरणसे शिक्षा लेनी चाहिए। वे बैरिस्टर और विद्वान होनेपर भी मजदूरी करनेमें अपनी हीनता नहीं समझते। वे गठरियां लादे हुए भरे बाजारोंमें से निकलते हैं, लकड़ियाँ चीरते हैं, कपड़े धोते हैं और रेलवे स्टेशनोंपर जाकर मजदूरी करते हैं। इस तरह वे वास्तवमें यह सिद्ध करते हैं कि उन्होंने सच्ची शिक्षा पाई है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ९-७-१९१०




१. इंग्लैंडकी कॉमन्स सभामें मजदूर दलीय सदस्य श्री जे० ओग्रेडीने २९ जूनको ट्रान्सवाल के भारतीयोंका प्रश्न उठाया था और सुझाव दिया था कि समझौता करनेके लिए गांधीजी और स्मट्स आपसमें मिलें । Gandhi Heritage Portal