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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सरल भाषामें लिखा जा सकता था, इसे मैं स्वीकार करता हूँ। लेकिन प्रायः सब लोग उसका अभिप्राय समझ सकते हैं ऐसा मैं मानता हूँ। भारतीय समाजमें सम्पादक स्वयं भी शामिल है। इसका अर्थ यह हुआ कि जिस बातसे भारतीय समाजको नीचा देखना पड़ता है उससे अवश्य ही हमें भी नीचा देखना पड़ता है। तुम मानते हो कि इससे सत्याग्रहमें बाधा पड़ती है, लेकिन मैं ऐसा नहीं समझता। तुम अपनी टिप्पणी एक बार फिर पढ़ जाओ, इस उद्देश्यसे मैं उसे वापस भेज रहा हूँ ।

पार्सल मिल गया। उसे मालगाड़ीसे क्यों नहीं भेजा ?

मोढ' (जातिके) मुखियोंके नाम अपील छगनलालने भेजी है। इसे मैं तुम्हारे और पुरुषोत्तमदासके पढ़नेके लिए भेज रहा हूँ।

धनजी' अगर जल्दी जानेवाले हों तो उनका साथ मुझे पसन्द है। वह चंचलकी देखभाल ठीक तरहसे करेंगे। लेकिन चंचल किसी स्त्रीका साथ चाहती है।

मोहनदासके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें लिखित मूल गुजराती प्रति (सी० डब्ल्यू० ४९३१) से ।

सौजन्य : राधाबेन चौधरी ।

२३२. ट्रान्सवालके निर्वासित

मद्रासके श्री जी० ए० नटेसनने ट्रान्सवालके गृहहीन निर्वासितोंकी बहुमूल्य सहायता की है। इसके लिए वे दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके हार्दिक धन्यवादके पात्र हैं। हमारे पास कई पत्र आये हैं जिनमें उनकी सेवाओंकी बहुत प्रशंसा की गई है। उन्होंने निर्वासितोंके कष्टोंको बहुत हल्का और सह्य बना दिया है। मद्रासके समाचार- पत्र भी उनकी प्रशंसासे भरे पड़े हैं। हम श्री नटेसनको उनकी इस महान लोक-भावना- पर बधाई देते हैं।.

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १६-७-१९१०

१. वैश्योंकी एक उपजाति; गांधीजी भी मोढ थे । २. धनजी रनजी, वेरुलमके एक भारतीय व्यापारी ।