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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इस नई चालसे घोर विश्वासघात प्रकट होता है। समाजने सरकारपर जिस बुरी नीयतका आरोप लगाया है इससे उसकी पुष्टि होती है। सत्याग्रहियोंने अपनी लड़ाई जारी रखनेका जो निश्चय किया है उसको इससे बल मिलता है और उसका औचित्य सिद्ध होता है। गैर-सत्याग्रही अदालतमें जाकर इस मुद्देको जाँचेंगे। सम्भव है इस संघर्षमे वे हार जायें। अगर ऐसा हुआ तो वह सरकारके लिए और भी शर्मकी बात होगी । अगर अधिनियममें कोई दोष रह गया है तो सरकारका काम है कि वह उसे सुधारे, न कि नीचतापूर्वक उसका अनुचित लाभ उठाये ।

परन्तु जो लोग ट्रान्सवाल सरकारकी इस चालको समझेंगे उनके लिए इसका एक और भी गहरा अर्थ है । वह यह कि हमारी आशाका दारमदार अदालती फैसलोंके अनिश्चित परिणामोंके बजाय सत्याग्रहकी निश्चित सफलतापर निर्भर है। इसलिए हम विश्वास करते हैं कि जो भारतीय माता-पिता अपनी कमजोरीके कारण या निराश होकर लड़ाईसे अलग हो गये हैं वे फिर कमर कसकर खड़े हो जायेंगे और जो लोग सत्याग्रह जारी रखे हुए हैं, उनका साथ देंगे ।

प्रश्नके इस नवीनतम पहलूके बारेमें साम्राज्य सरकार क्या सोचती है, हम यह जाननेके लिए उत्सुक रहेंगे।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-७-१९१०

२४३. जेलका व्यवहार

श्री चर्चिलने घोषणा की है कि अब सत्याग्रही और मताधिकारके लिए लड़ने- वाली स्त्रियोंके साथ [जेलमें ] अपराधियों जैसा व्यवहार नहीं किया जायेगा, और न उन्हें पतित लोगोंके साथ रखा जायेगा। यह सुधार सही दिशामें किया गया सुधार ध्यान देनेकी बात है कि श्री चचिलने मताधिकारके लिए लड़नेवाली स्त्रियों और सत्याग्रहियोंमें भेद किया है। मतलब यह है कि ये स्त्रियाँ जब सत्याग्रहियोंकी श्रेणी में न रखी जा सकें. -जैसे अपनी मांगकी ओर ध्यान दिलानेके लिए प्रधानमन्त्रीपर हमला करने और खिड़कियाँ वगैरह तोड़नेकी हालतमें - - उस समय भी उनके साथ मामूली अपराधीका-सा व्यवहार नहीं किया जायेगा । श्रीमती पैंकहर्स्ट और उनके अनु- गामियोंकी यह बहुत बड़ी विजय है । एक वर्ष पहले श्री रॉबर्ट्सन और अन्य प्रसिद्ध पत्रकारोंने जिस सिद्धान्तकी तरफ ब्रिटेनकी जनताका ध्यान दिलाया था उसकी यह एक विलम्बित स्वीकृति मात्र है।

परन्तु ट्रान्सवालके सत्याग्रहियोंका क्या होगा? क्या वे वैसा ही व्यवहार पानेके योग्य नहीं हैं? जो हिंसाका प्रयोग कभी नहीं करते और जो शायद सबसे सच्चे सत्याग्रही हैं, क्या उन्हें ऐसे सामान्य अपराधियोंकी ही श्रेणीमें गिना जायेगा जो किसी

१. कॉमन्स सभामें । Gandhi Heritage Portal