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उत्तर : 'रैंड डेली मेल' को

मुरौवतके हकदार नहीं हैं ? क्या साम्राज्य सरकार इस नये संघ-राज्यकी सरकारको श्री चर्चिलके सुधारका अनुकरण करने के लिए राजी नहीं कर सकती ? अथवा, क्या श्री जोजेफ रायप्पनके साथ, जो बैरिस्टर हैं और अपनी अन्तरात्माकी खातिर जेल जाते हैं, किसी हत्यारे और चोर-जैसा व्यवहार करना जरूरी है ?

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ३०-७-१९१०

२४४. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सोमवार [ अगस्त १, १९१०]

सत्याग्रही बरजोरसिंह

श्री बरजोरसिंह डर्बनसे रवाना होनेवाली सत्याग्रहियोंकी टुकड़ीमें थे और अभी हालमें ही तीन माहका कारावास भोग कर लौटे हैं। उन्हें अपने पिताकी बीमारीके कारण सत्याग्रही फार्मसे एकाएक जाना पड़ा है। श्री रतिपालसिंह तथा निगमके अन्य भारतीयोंने उन्हें भोज दिया और उनकी प्रशंसा की। श्री बरजोरसिंह कुछ ही दिनों में ट्रान्सवाल आकर फिर गिरफ्तार होंगे।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, ६-८-१९१०

२४५. उत्तर : 'रैंड डेली मेल' को

[ जोहानिसबर्ग ]
अगस्त ३, १९१०

महोदय,

सत्याग्रहकी लड़ाईके सम्बन्धमें लॉर्ड ऍम्टहिलने लॉर्ड-सभा जो काम किया है, उसके बारेमें आपने अपने पत्रमें अग्रलेख लिखा है। क्या आप मुझे इस अग्रलेख में कही गई कुछ बातोंको सुधारनेकी इजाजत देंगे ?

आप लिखते हैं कि जब सरकार पुरोहितों, वकीलों, डॉक्टरों आदिको अनुमतिपत्र देनेकी इच्छा प्रकट कर चुकी, किन्तु जब उसने इससे अधिक कुछ और देनेसे इनकार कर दिया, तब सत्याग्रह शुरू हो गया। क्या मैं आपको याद दिलाऊँ कि सत्याग्रह सन् १९०७ में शुरू हो चुका था; उस समय तक पुरोहितों, वकीलों और डॉक्टरोंका प्रश्न

१. टॉल्स्टॉय फार्म ।

२. यह रैंड डेली मेलमें “भारतीय सत्याग्रही” (इंडियन पैसिव रेजिस्टर्स) शीर्षकसे प्रकाशित हुआ था।

३. देखिए अगला शीर्षक ।

४. २९ जुलाईका; देखिए इंडियन ओपिनियन, ६-८-१९१० । १०-२१ Gandhi Heritage Portal