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२५२. पत्र : लिओ टॉल्स्टॉयको

जोहानिसबर्ग
अगस्त १५, १९१०

प्रिय महोदय,

आपके गत ८ मईके उत्साहवर्धक और स्नेहपूर्ण पत्रके लिए मैं आपका बहुत आभारी मेरी 'इंडियन होम रूल' पुस्तिका आपको कुल मिलाकर पसन्द आई, यह मेरे लिए बड़ी बात है। आपने अपने पत्रमें समय मिलनेपर उसकी विस्तृत आलोचना करनेका वचन दिया है। मैं उसकी प्रतीक्षा करूँगा ।

श्री कैलेनबैकने आपको टॉल्स्टॉय फार्मके बारेमें लिखा है। श्री कैलेनबैक और मेरी अरसेसे मित्रता है। आपने अपनी कृति – 'माई कन्फेशन्स 1- में अपने जिन अनुभवोंको हूबहू चित्रित किया है, मैं कहना चाहता हूँ कि श्री कैलेनबैक उनमें से ज्यादातर अनुभवोंमें से गुजर चुके हैं। श्री कैलेनबैकको आपकी कृतियोंने जितना प्रभावित किया है उतना अन्य किसी औरकी कृतियोंने नहीं। और आपने संसारके सामने जो आदर्श रखे हैं उनपर चलनेके प्रयासको बल देनेके लिए ही उन्होंने मुझसे सलाह लेकर अपने फार्मका नामकरण आपके नामपर करनेकी धृष्टता की है।

उन्होंने अपना फार्म सत्याग्रहियोंके इस्तेमालके लिए देनेकी उदारता दिखाई है। मैं आपके पास 'इंडियन ओपिनियन" का सम्बन्धित अंक भेज रहा हूँ जिससे आपको पूरी जानकारी मिल जायेगी ।

यदि आप ट्रान्सवालके वर्तमान सत्याग्रह-संघर्षमें व्यक्तिगत रुचि न ले रहे होते तो में इस तमाम तफसीलका बोझा आपपर न डालता ।

आपका सच्चा सेवक,
मो० क० गांधी

काउन्ट लिओ टॉल्स्टॉय
यास्नाया पोल्याना ।

डी० जी० तेन्दुलकर कृत 'महात्मा', खण्ड १ में प्रकाशित गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त टाइप की हुई मूल अंग्रेजी प्रतिके ब्लॉकसे । १. इसके उत्तर में बी० चैरेकोव और टॉल्स्टॉय द्वारा गांधीजीको लिखे गये पत्रोंके लिए, देखिए परिशिष्ट ६ २. देखिए परिशिष्ट ३ । ३. जून ११, १९१० का ।