पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 10.pdf/३८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

२६५. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

सोमवार [ सितम्बर ५, १९१० ]

नाबालिग

श्री छोटाभाईके पुत्रके मुकदमेसे बहुत मिलता-जुलता, श्री तैयब हाजी खान मुहम्मदके पुत्रका एक मुकदमा प्रिटोरियामें पेश हुआ है। इसमें भी मजिस्ट्रेटने अपना फैसला [ बालकके] विरुद्ध दिया है। सम्भव है ये दोनों मामले सर्वोच्च न्यायालय में जायें ।

जनरल बोथा तथा अन्य लोगोंके वक्तव्य

[ प्रश्न ] से सम्बन्धित जनरल स्मट्स, जनरल बोथा और श्री डी विलियर्सके वक्तव्योंका सार मैंने 'इंडियन ओपिनियन' के अंग्रेजी विभागको भेजा है। इन तीनोंने ही अपने व्याख्यानों या लेखोंमें नाबालिग बालकोंकी स्थितिकी चर्चा की है । परन्तु इनमें से किसीने यह नहीं कहा कि इन बालकोंको बालिग होनेपर, निर्वासित किया जा सकता है। जनरल बोथाने अपने लिखित वक्तव्यमें कहा है कि नाबालिगोंके बारेमें एशियाइयोंकी माँग सरकारने स्वीकार कर ली है। यही बात जनरल स्मट्सने अपने भाषण में कही है। एशियाइयोंने अपने बच्चोंका निर्वासन स्वीकार करनेकी बात स्वप्नमें भी नहीं सोची थी। उपर्युक्त तीनों व्यक्तियोंमें से भी कोई ऐसा नहीं कहता । कानूनका यह मनमाना अर्थ तो ट्रान्सवाल सरकारने अब लगाया है।

[ गुजरातीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १०-९-१९१०

२६६. छोटाभाईका मुकदमा

श्री छोटाभाईके लड़केका मुकदमा अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। उसका विवरण इन स्तम्भों पहले दिया जा चुका है। ट्रान्सवालके समूचे भारतीय समाजपर उसका असर पड़ता है। श्री तैयब हाजी खान मुहम्मदके लड़केका मामला भी इसी प्रकारका है। नाबालिगकी उम्र में आये हुए लड़के अगर ट्रान्सवालमें नहीं रह सकते तो सैकड़ों भारतीय माता-पिताओंको ट्रान्सवाल छोड़ देना पड़ेगा; क्योंकि यदि सोलह साल हो जानेपर बच्चोंको जबरदस्ती बालिग कहकर उनके स्वाभाविक संरक्षकोंके बगैर भारतमें

१. देखिए परिशिष्ट ७ ।

२. देखिए “एक और विश्वासघात , पृष्ठ ३१९-२० ।

३. देखिए " ट्रान्सवालकी टिप्पणियों", इंडियन ओपिनियन, २७-८-१९१० । < Gandhi Heritage Portal