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२७०. सम्राट्से प्रार्थना

दक्षिण आफ्रिकाके भारतीय संघने सम्राट्से तार' द्वारा प्रार्थना की है कि महामहिम ट्रान्सवालमें सत्याग्रहियोंकी तरफसे हस्तक्षेप करनेकी कृपा करें। यह एक साहस-भरा कदम है। यह तार और उसके साथ ही 'मद्रास मेल' को भेजा गया श्री नटेसनका ओजस्वी पत्र - जिसके उद्धरण हम अन्यत्र दे रहे हैं - देखनेसे जाहिर हो जायेगा कि मद्रासमें इस प्रश्नको लेकर कितनी जागृति है। 'टाइम्स ऑफ इंडिया' के मालिक, श्री बैनेटने तो इतना तक कहा है कि दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके कष्टोंसे जितना भारतकी जनताका मन विचलित हुआ है, उतना अन्य किसी प्रश्नसे नहीं। अब 'टाइम्स' के संवाददाताने इस वक्तव्यकी पुष्टि कर दी है। सम्राट्से व्यक्तिगत तौरपर प्रार्थनाएँ विरले ही अवसरोंपर की जाती हैं। संघको प्रार्थनाका कुछ उत्तर तो दिया ही जायेगा। इसके लिए हमें बहुत अधिक राह नहीं देखनी पड़ेगी। उत्तर कुछ भी आये, हमें तो सबसे अधिक सन्तोष यह जानकर हो रहा है कि सत्याग्रही जिनके सम्मानके लिए लड़ रहे हैं, उनकी इस संघर्षके साथ पूरी और सक्रिय सहानुभूति है।

[ अंग्रेजीसे ]
इंडियन ओपिनियन, १७-९-१९१०

२७१. लड़ाईका जोर

हमने बहुत से लोगोंको कहते सुना है कि ट्रान्सवालकी लड़ाईमें अब कुछ दम नहीं रहा। हम तो बहुत बार कह चुके हैं कि जबतक एक भी सत्याग्रही शेष रहेगा तबतक हमें यही माजना चाहिए कि संघर्षमें हमारी जीत निश्चित है। सत्याग्रहकी यही कसौटी है ।

हमारी इस बातका समर्थन करनेवाले दो तार हमें इस सप्ताह मिले हैं। एकसे पता चलता है कि हमारी मद्रासकी समितिने वहाँ निर्वासित होकर पहुँचनेवाले लोगोंके सम्बन्धमें सम्राट्को तार भेजा है और न्यायकी मांग की है। समिति हमारी सहायता करती रही है। इंग्लैंडके 'टाइम्स' में भारतको मौजूदा अशान्तिके सम्बन्धमें एक लेख-माला प्रकाशित हो रही है। उसमें कहा गया है कि भारतीयोंको दिये जानेवाले कष्ट अंग्रेजी राज्यके लिए लज्जाजनक हैं। इन दोनोंसे प्रकट है कि ट्रान्सवालकी लड़ाईका १. देखिए “निर्वासित भारतीयोंकी सम्राटसे अपील ", इंडियन ओपिनियन, १७-९-१९१० । २. देखिए " टाइम्सके संवाददाताके विचार", इंडियन ओपिनियन, १७-९-१९१० । ३. इंडियन साउथ आफ्रिका लीग । ४. देखिए इंडियन ओपिनियन, १७-९-१९१० ।