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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


यह आवश्यक है कि नये संघ-प्रवासी विधेयकमें अधिवासकी स्पष्ट व्याख्या की जानी चाहिए। [सुझावके तौरपर हम कहेंगे कि] नेटाल और केप कालोनी प्रान्तोंमें निवासी वह अवधि, जिसके बाद संविहित रूपसे अधिवासका अधिकार मिल जायेगा, तीन वर्षकी हो--जैसा कि आजकल इस प्रान्तमें है। ऐसा न हुआ तो प्रशासकीय मनमानीके फलस्वरूप प्रशासन और भारतीय समाजके बीच अनावश्यक कटुता बढ़ेगी।

४. सादर निवेदन है कि प्रस्तावित नई शैक्षणिक परीक्षाका स्वरूप मनमाना है इसलिए उसका नतीजा यह निकलेगा कि इस प्रान्तमें भारतीय प्रवास एक तरहसे वन्द ही हो जायेगा। हमारी नम्र राय में इसके फलस्वरूप निवासी-भारतीय समाजको काफी परेशानी हो जायेगी। उनमें से कई लोगोंका भारतको व्यावसायिक संस्थाओंके साथ महत्वपूर्ण कारोबार चलता है और उसमें बहुधा विशेष ज्ञानकी जरूरत पड़ा करती है। परन्तु नई शैक्षणिक परीक्षाके कारण डॉक्टरी और वकालत आदि पेशोंके काफी उच्च शिक्षा प्राप्त इने-गिने भारतीयोंको छोड़कर अन्य लोगोंको प्रवेशकी अनुमति नहीं मिल सकेगी और फलस्वरूप निवासी-भारतीय समाजको वे सुविधाएँ नहीं मिल पायेंगी जो उन्हें आजतक मिलती रही हैं। इसीलिए हमारा सादर अनुरोध है कि सम्राट्की सरकार संघ-संसदमें नया संघ-प्रवासी-विधेयक पेश होनेसे पहले संघ-सरकार से यह गारंटी मांगे कि विश्वस्त मुनीमों और प्रबन्धकोंके नाम ऐसे अस्थायी अनुमतिपत्र जारी किये जायेंगे जिनकी अवधि समय-समयपर बढ़ाई जा सके, ताकि भारतीय व्यावसायिक हितोंको उस बड़ी क्षतिसे बचाया जा सके जो अन्यथा अवश्यम्भावी है।[१] हर वर्ष जारी किये जानेवाले इन अनुमतिपत्रोंकी संख्या गत वर्ष नेटालके वर्तमान अधिनियमों द्वारा विहित शैक्षणिक परीक्षा उत्तीर्ण होनेवाले भारतीय प्रवासियोंका संख्यासे अधिक नहीं होगी। हम यहाँ आपको यह भी स्मरण दिला दें कि इस प्रकारको सुविधाएँ मिलनेसे नेटालके भारतीय समाजको बड़ी प्रसन्नता होगी हालाँकि इससे निवासी-भारतीय लोगोंकी संख्यामें स्थायी तौरपर कोई वृद्धि नहीं होगी। साथ ही हमने देखा है कि पिछले विधेयक द्वारा जो अव नाबूद हो गया है. प्रस्तावित शैक्षणिक परीक्षाके अन्तर्गत, जैसा कि संघ-संसदके गत सत्रके दौरान जारी किये गये संसदीय पत्रमें कहा गया था, परीक्षामें उत्तीर्ण होनेवाले भारतीयोंकी संख्या लगभग बारह[२] रखी जानेवाली थी। और अकेले ट्रान्सवालके लिए यह संख्या छ: रखी गई थी, जिसकी भारतीय जनसंख्या १५,०००के लगभग है और निवासी भारतीयोंको संख्या ८,००० से अधिक नहीं है। इस दृष्टिसे समूचे संघके लिए यह संख्या बारह रखना बहुत ही कम होगा। इस बातका ध्यान रखा चाहिए कि केपकी भारतीय जनसंख्या १५,००० और नेटालकी १,५०,०००से कम नहीं है, जिनमें गिरमिटिया भारतीय भी शामिल हैं। जनसंख्याका अनुपात देखते हुए वैसे तो समूचे संघमें नया प्रवेश पानेवाले सुसंस्कृत भारतीय प्रवासियोंकी संख्या ७२ रखी जानी चाहिए, किन्तु

  1. भारतीय लोग एक अर्सेसे इसकी शिकायत करते आ रहे थे, देखिए खण्ड ५ पृष्ठ १०४, ११६, १५३ और खण्ड ६, पृष्ठ ११४-१५ तथा २६९-७०
  2. देखिए खण्ड १०, पृष्ठ ५०६ ।