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६३. पत्र: मगनलाल गांधीको

वैशाख बदी ५ [मई १८, १९११][१]


चि० मगनलाल,

ठक्करके विषयमें तुम्हारा पत्र मैंने उसे भेज दिया है। तुम्हारे मन मिलते नहीं हैं, इसलिए ऐसा होता रहता है। ठक्करका स्वभाव वहमी है, यह तो हम जानते ही है।

'गुलीवर्स ट्रैवल्स" में आधुनिक सभ्यताका, व्यंग्यात्मक शैलीमें, बहुत ही सुन्दर खण्डन किया गया है। यह पुस्तक बार-बार पढ़ने लायक है। यह पुस्तक अंग्रेजीमें बहुत प्रसिद्ध है। यह इतनी सरल है कि बालक भी आनन्दपूर्वक पढ़ सकते हैं और ज्ञानी भी उसके गूढार्थका मनन करते हुए उसमें गोता लगा सकते है। लिलीपुटमें गुलीवर जितना ऊपर चढ़ा था, बॉबडिंगनेगमें उसे उतना ही नीचा देखना पड़ा। और लिलीपुटमें भी बौने लोगोंका वर्णन करते हुए उसने कहा है कि उनकी कुछ शक्तियाँ उसकी अपनी, यानी साधारण मनुष्योंकी, शक्तियोंकी अपेक्षा ज्यादा बढ़ी-चढ़ी है।

अब तुम कारपेन्टरकी 'सभ्यता, उसका निदान और चिकित्सा' ('सिविलिज़ेशन: इट्स कॉजेज ऐंड क्योर') पुस्तक पढ़ना। उसे मैं कल भेजूंगा। अंग्रेजीके अधूरे ज्ञानके कारण छगनलालको कठिनाई हुई, यह ठीक है। किन्तु जिस विषयपर हम लिखना या बोलना चाहते हैं उसका ज्ञान हो जाये, तो भाषा बादमें सुलभ हो जाती है। अंग्रेजीकी तुम्हारी कमी तुम्हारे इंग्लैंड गये बिना पूरी हो ही नहीं सकती। मैं देखता हूँ कि छगनलालको वहाँ उसके स्वल्पकालिक प्रवाससे भी काफी लाभ हुआ है और फिर, उसे तो बीमारीने भी परेशान कर रखा था, इसलिए कुछ अधिक बाधा रही। छगनलालने जो अनुभव प्राप्त किया है, वह हमारे बड़े कामका होगा। आशा है कि मैं अब कुछ ही दिनोंमें वहाँ पहुँच जाऊँगा, आना तो जूनके आरम्भमें है। स्मट्सका उत्तर आनेपर अधिक निश्चित रूपसे लिख सगा। उत्तर आजकलमें ही आनेवाला है।

हरिलाल चला गया, यह ठीक ही हुआ है। उसका मन बहुत अव्यवस्थित था। उसने मुझे आश्वस्त किया है कि फीनिक्सके विषयमें मैने जो-कुछ किया है[२] उसके प्रति उसे तनिक भी रोष नहीं है। इसी प्रकार तुम सब लोगोंके प्रति भी उसके मनमें कोई मैल नहीं है। उसका क्रोध तो असलमें मेरे ऊपर था। अपने मनका यह सारा गुबार उसने सोमवारकी शामको निकाला। उसका खयाल है कि मैने चारों लड़कोंको बहुत दबाया है। उनकी इच्छा किसी भी दिन पूरी नहीं की।

  1. पत्रमें श्री हरिलाल गांधीके घर छोड़कर भारत चले जानेका उल्लेख है । यह बात सन् १९११की है। उस वर्ष वैशाख वदी ५को मई महीनेकी १८ तारीख पड़ी थी।
  2. देखिए “पत्र ५०ई० छोटाभाईको", पृष्ठ ६० ।