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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


नीचे यदि सरकार तसदीक कर दे तो सम्बन्धित प्रार्थीको पर्याप्त संरक्षण मिल जायेगा। आवश्यक हो तो प्रार्थीकी हस्तलिपिमें प्रार्थनापत्रकी एक प्रतिलिपि विभाग-द्वारा अपने पास रख ली जाये।

अन्तमें, सवालको हल करनेमें मन्त्री महोदयने जो सुलहकुल रवैया अपनाया है मैं उसके लिए उन्हें संघकी ओरसे धन्यवाद देता हूँ; और आशा करता हूँ कि एशियाई समाजको जिस संघर्षकी इतनी कीमत चुकानी पड़ी है उसे फिर शुरू करनेका कभी कोई कारण उपस्थित नहीं होगा।

आपका,
मो० क० गांधी

हस्तलिखित अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५५३८) की फोटो-नकल तथा २७-५-१९११ के 'इंडियन ओपि

७१. वक्तव्य: प्रस्तावित शिष्टमण्डलके लिए

[मई २०, १९११ के बाद][१]

ब्रिटिश भारतीय संघ द्वारा जनरल स्मट्सके सामने पेश किया जानेवाला वक्तव्य

शिष्टमण्डल उलझी हुई ब्रिटिश भारतीय समस्याके सम्बन्धमें जनरल स्मट्स और श्री गांधीके पत्र-व्यवहारमें[२] प्रस्तुत अस्थायी समझौतेका स्वागत करता है और जनरल स्मट्सको उनके उदार और मैत्रीपूर्ण रुखके लिए धन्यवाद देता है।

किन्तु शिष्टमण्डल जनरल स्मट्सका ध्यान निम्न लिखित बातोंकी ओर सादर आकर्षित करना चाहता है :

(१) यद्यपि शिष्टमण्डलको प्रसन्नता है कि इस समय ट्रान्सवालमें मौजूद उन छः या सात शिक्षित सत्याग्रहियोंको, जो अधिनियमके अन्तर्गत पंजीकृत नहीं किये जा सकते,

  1. इस वक्तव्यमें उन भारतीयोंका प्रश्न उठाया गया है, जो युद्धसे पहले ट्रान्सवालमें तीन वर्षसे कम रहे थे । अप्रैल १९११ की वातकि दौरान उनका मामला नहीं लिया गया था और गृह-मन्त्री द्वारा मई १९, १९११ और मई २०, १९११ को गांधीजीके नाम लिखे गये पत्रों में जो माँगें मान ली गई है, उनमें भी इसका हवाला नहीं है; देखिए. परिशिष्ट ५ और ६ । शायद उनके मामले में खास तौरपर पैरवीकी जरूरत थी और इसके लिए शिष्ठमण्डल भेजनेका प्रस्ताव २० मईके बाद ही किया गया होगा। जो भी हो, हमारे पास ऐसा कोई प्रमाण नहीं कि गांधीजी या ब्रिटिश भारतीय संवके अन्य किसी पदाधिकारीने स्मट्ससे भेंट की या कोई भारतीय शिष्टमण्डल उनसे मिला । पर चूँकि गांधीजीके कागजातमें यह मसविदा मिला है और चूंकि भारतीयोंकी ओरसे स्वयं उन्होंने वार्ता चलाई थी इसलिए, यह मान लेना अनुचित न होगा कि यह मसविदा उन्हींका तैयार किया हुआ है।
  2. गृह-मन्त्रीके नाम गांधीजीके पत्रों के लिए देखिए पृष्ठ ९-१०, १४-१५, ३०-३२, ३७-३८, ३९-४१, ४७.५०, ५८-६०, ७७.७८ और पिछला शीर्षक तया गृह मन्त्रीके पत्रों के लिए देखिए परिशिष्ट १,२,४,५ और