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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


देनेके अधिकारी हैं। आप देखेंगे कि इनमें केवल २६ नाम ऐसे हैं जो गृह-विभागके इसी १९ तारीखके पत्रकी[१] श्रेणी “ग” के अन्तर्गत आते हैं। ग्यारह व्यक्ति ऐसे हैं जिनके पास शान्ति-रक्षा अनुमतिपत्र हैं और एक लड़का है जो अभी १६ वर्षका हुआ ही है और यहाँ अपने पिताके साथ है।

सूचीमें जिन २६ व्यक्तियोंका उल्लेख है उनमें से दो डेलागोआ-बेमें हैं।

तीन मुसलमानोंको[२] प्रमाणपत्र दिये जाने हैं; उसके लिए मुझे इन नामोंको पेश करनेका अधिकार दिया गया है: श्री काजी कालूमियाँ दादामियाँ, श्री इस्माइल ईसप और श्री रसूल सरफुद्दीन । अन्तिम व्यक्तिको छोड़कर शेष दोको अंग्रेजी शिक्षा नहीं मिली है। इनमें पहले व्यक्ति उर्दूके विद्वान है और पहले तथा दूसरे दोनों व्यक्ति सत्याग्रही हैं, किन्तु कदाचित् युद्धसे पहलेके तीन वर्ष ट्रान्सवालमें निवास-सम्बन्धी कानूनकी शर्तपर पूरे नहीं उतरते, यद्यपि ये दोनों ट्रान्सवालमें युद्ध से पूर्व निवास करते थे। श्री सरफुद्दीनको श्री रायप्पन और अन्य लोगोंके समान प्रमाणपत्र मिलेगा।

यदि आप मुझे यह बता दें कि इस पत्र में बताये गये व्यक्ति अपने प्रार्थनापत्र कब दे सकेंगे तो मैं आपका आभारी होऊँगा। मैं समझता हूँ कि आप इन्हें जोहानिसबर्गमें प्रार्थनापत्र पेश करनेकी सुविधा देनेकी कृपा करेंगे। कृपया मुझे दो दिन पहले सूचना दे दें जिससे ये लोग समयपर तैयार किये जा सकें।

सत्याग्रही कैदियोंकी रिहाईको सुगम बनाने में मददकी प्रार्थना है। इनमें से दो मीयाद पूरी होनेपर आज रिहा कर दिये गये। मुझे आपको यह आश्वासन देनेकी आवश्यकता नहीं है कि उनकी रिहाईपर हम किसी प्रकारका प्रदर्शन करना नहीं चाहते।

आपका,

टाइप किये हुए अंग्रेजी मसविदे (एस० एन० ५५४१) की फोटो-नकलसे ।

७५. सत्याग्रहियोंके लिए

हम अपने पाठकोंका ध्यान श्री काछलियाकी उन सत्याग्रहियोंसे सम्बन्धित सूचनाकी[३] तरफ खींचना चाहते हैं, जिनका ट्रान्सवालमें स्थायी निवासका अधिकार केवल उनके सत्याग्रही होनेके कारण रद हो गया हो। इस मामलेमें मुख्य बात है समय। इसलिए हम आशा करते है कि इस सूचनाका जिनसे सम्बन्ध है वे उसके अनुसार कार्यवाही करने में देर नहीं करेंगे। हम यह भी आशा करते हैं जिन्होंने एशियाई कानूनोंके अनुसार अर्जियाँ दी थीं पर वे नामंजूर कर दी गई थीं, वे अपने नाम नहीं भेजेंगे।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन,२७-५-१९११

  1. और
  2. देखिए परिशिष्ट ५।
  3. देखिए "सत्याग्रहियोंको सूचना", पृष्ठ ८५-८६ ।