पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/१३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
९९
सत्याग्रहसे क्या मिला?
  1. सरकार समझ गई है कि हम लोगोंको अजेय बल प्राप्त हुआ है।
  2. भारतीय समाज कायरता छोड़कर बहादुर हो गया है और जो बकरीकी तरह मिमियानेमें भी डरते थे, अब दहाड़ने लगे हैं।
  3. श्रीमती वॉगलने जोहानिसबर्गमें भारतीय स्त्रियोंके वर्ग शुरू किये है और वे अवैतनिक रूपसे काम कर रही हैं।
  4. भारतीय समाज जेलसे बहुत डरता था। वह भय अब बहुत हद तक चला गया है।
  5. यद्यपि श्री काछलिया आदि सज्जनोंको पैसेकी क्षति हुई है, तथापि वे यह जानते है कि उनमें एक प्रकारका जोश और बल आ गया है। यह संघर्षके अनुभवके बगैर लाखों रुपया खर्च करके भी सम्भव नहीं था।
  6. इस संघर्षके परिणाम-स्वरूप ही भारतीय समाज जान पाया है कि तमिल समाजमें अनेक वीर-पुरुष और स्त्रियाँ मौजूद हैं।
  7. लड़ाईके पहले ट्रान्सवालमें रहनेवाले सैकड़ों भारतीयोंके अधिकार संघर्षकी बदौलत बननेवाले कानून नं० ३६के कारण ही सुरक्षित हुए।
  8. भारतीय समाजपर धोखाधड़ी करनेका जो आरोप था, वह धुल गया।'
  9. यदि एकदम ताजे मामलेको देखें, तो पता चलेगा कि नेटालके व्यक्ति-करसे सम्बन्धित जो भेद-भावपूर्ण विधेयक प्रस्तुत किया जानेवाला था, वह सत्याग्रहके भयसे वापस ले लिया गया है।
  10. जनरल स्मट्सको तीन बार और साम्राज्य सरकारको दो बार अपने निर्णय वापस लेने पड़े।
  11. पहले हमारे खिलाफ कानून बनाते समय सरकार आगा-पीछा नहीं किया करती थी। अब वह विचारपूर्वक कानून बनाती है। इतना ही नहीं, बल्कि उसे अभी यह भी सोचना पड़ता है कि हम लोगोंकी प्रतिक्रिया उस विषय में क्या होगी।
  12. भारतीयोंकी साख बढ़ी है। साख लाखसे भी अधिक है।
  13. समाजने सिद्ध कर दिखाया है कि सत्यमें कितनी शक्ति है।
  14. समाजने ईश्वरपर विश्वास रखकर, धर्मका महत्व संसारपर प्रकट कर दिया है।

जहाँ सत्य और धर्म है, वहीं विजय है। यदि हम और भी (गहराईसे) विचार करें, तो सम्भव है कि हमें अनेक सुपरिणाम दिखाई पड़ें, किन्तु हमने जो अन्तिम

१. ट्रान्सवाल एशियाई पंजीयन संशोधन अधिनियम ।

२. गांधीजी तथा ट्रान्सवालके अन्य भारतीयोंपर यह आरोप लगाया गया था कि वे नाजायज तरीकोंसे भारतीयोंको ट्रान्सवालमें प्रवेश कराते हैं। देखिये खण्ड ८, पृष्ठ ७-८, ११-१२, १४-१५, ५२- ५३, २९८ और ३३१-३२ ।

३. गांधीजीके मनमें निम्न तीन अवसर रहे होंगे जब जनरल स्मट्सको अपने निश्चयसे हटना पड़ा था: (क) जव १९०६ में गांधी-अली शिष्टमण्डलके प्रयासोंके फलस्वरूप साम्राज्य-सरकारने एशियाई कानून संशोधन अध्यादेशको स्वीकृति देनेसे इनकार किया; (ख) जब अल्वर्ट कार्टराइटके हाथों जनरल स्मट्सने समझौतेका वह प्रस्ताव गांधीजीके पास जेलमें भेजा जिसमें १९०७ के अधिनियम २ को रद करनेका वचन था; (ग) जब स्मट्सने अन्तत: स्वीकार किया कि शिक्षित एशियाश्योंकी एक निश्चित संख्या प्रति वर्ष ट्रान्सवालमें प्रवेश कर सकेगी।