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८५. अभिनन्दनपत्र : डब्ल्यू० हॉस्केनको[१]

जोहानिसबर्ग
जून ९, १९११

श्री विलियम हॉस्केन


प्रिय महोदय,

हम नीचे हस्ताक्षर करनेवाले व्यक्ति ब्रिटिश भारतीय स्वागत समितिकी ओरसे इस अभिनन्दनपत्र द्वारा आपके और आपकी उस समितिके सदस्योंके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करना चाहते जो स्थापित होनेके बाद पिछले तीन वर्षोंसे आपकी अध्यक्षतामें ही काम करती आई है।

हमें पता है कि जिस एशियाई प्रश्नको लेकर इस देशमें पिछले चार वर्षोंसे अशान्ति छाई रही है उसका अस्थायी हल ढूंढ़ निकालने में जो शीघ्रता हो पाई वह आपकी समितिके प्रयासोंकी बदौलत ही। यद्यपि जिस प्रश्नको लेकर सत्याग्रह छेड़ना पड़ा था वह अभी अन्तिम रूपसे नहीं सुलझा है, तथापि यह सन्तोषकी बात है कि एशियाई कौमोंकी माँगोंके मुख्य विरोधीकी तरफसे यह घोषणा कर दी गई है कि ये माँगें पूरी कर दी जानी चाहिए। आपके लिए और आपकी समितिके लिए यह कोई मामूली बात नहीं थी कि आपने एक ऐसे कामकी पैरवी की जो लोकप्रिय नहीं था।

आपने जो कष्ट किया उसका बदला देना हमारी शक्तिके बाहरकी बात है। हम तो केवल परमात्मासे प्रार्थना कर सकते है कि वह आपको और आपकी समितिके अन्य सदस्योंको उस पक्षकी वकालत करनेका पुरस्कार दें जिसे आपने न्याययुक्त समझा। परमात्मासे हमारी प्रार्थना है कि वह आपको सुन्दर स्वास्थ्य और सुदीर्घ जीवन प्रदान करें ताकि आप उच्च आदर्शोकी प्राप्तिके लिए पूर्ववत् काम करते रहें।

[अ० मु० काछलियाbr> व्ही० ए० चेट्टियार
अब्दुल कादिर बावजीर
सोराबजी शापुरजी अडाजानिया
मो० क० गांधी][२]

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन, १७-६-१९११

  1. ब्रिटिश भारतीय संघने भारतीयों के मामलों से सहानुभूति रखनेवाली यूरोपीय समितिके सदस्यों के सम्मानमें एक प्रीतिभोजका आयोजन किया था। यह मानपत्र उसी अवसरपर श्री हॉस्केनको भेंट किया गया था; देखिए, “प्रीति-भोज", पृष्ठ १०५-०६ ।
  2. स्ताक्षरकर्ताओंके नाम इस मानपत्रके गुजराती रूपसे लिये गये है।