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८८. राज्याभिषेक


जून २२ को दक्षिण आफ्रिका पाँचवें जॉर्जके राजतिलकका उत्सव मनाने जा रहा है। इन उत्सवोंमें हम किस प्रकारका भाग लेने जा रहे हैं ? अस्थायी समझौतेने शोकके कारणको तो दूर कर दिया है, परन्तु श्री दाउद मुहम्मद और दूसरे नेताओंने टाउन क्लार्कको जो पत्र[१] भेजा है, हमें ज्ञात हुआ है कि अभीतक उसका जवाब उन्हें नहीं मिला है। हमारे सम्राट्के राजतिलक-जैसे असाधारण प्रसंगपर नगर- परिषद यदि उनके समस्त प्रजाजनोंके साथ एक-सा व्यवहार नहीं कर सकती, यदि यूरोपीय लोग भी ऐसे समयपर अपने पूर्वग्रहोंको नहीं भुला सकते तो हम समझते है कि भारतीय कौमका भी यह कर्त्तव्य है कि वह स्थानीय सरकारी उत्सवोंमें शामिल न हो और यदि उसे यह उत्सव अलगसे मनानेके लिए कोई अनुदान दिया जाये तो उसे लेनेसे भी इनकार कर दे। कौम एक समुचित सन्देश भेजकर सम्राट्के प्रति अपनी वफादारी प्रकट कर देगी।

हमें बताया गया है कि नगर परिषद-अधिकारी श्री दाउद मुहम्मदको कोई निश्चित उत्तर देनेके बजाय भोले-भाले, गरीब और अज्ञानी भारतीयोंको धोखा देकर उन्हें इस बातके लिए राजी करनेके यत्नमें हैं कि वे छोटा-सा अनुदान प्रदान स्वीकार कर लें और अलगसे कहीं कोनमें उत्सव मना लें और इस तरह अपमानके सामने सिर झुका दें। हमें यह भी बताया गया है कि भारतीय दुकानदारोंके पास मार्केट मास्टर जा-जा कर उनसे पूछ रहा है कि अगर उनके लिए किसी तमाशेका आयोजन किया जाये तो क्या वे उसमें भाग लेंगे? हम आशा करते है कि ये सब चालें विफल कर दी जायेंगी और नेतागण इस बातका ध्यान रखेंगे कि डर्बनमें रहनेवाला एक भी भारतीय सरकार द्वारा आयोजित उत्सवोंसे कोई सरोकार नहीं रखेगा।

नगर-परिषदसे हमारी अपील है कि वह जरा तो इस प्रसंगके अनुरूप ऊपर उठकर सोचे। यदि वह साहसपूर्वक निश्चय कर ले कि कमसे-कम इस प्रसंगपर वह कौमी भेदभावोंको नहीं मानेगी तो यह इस आदर्श नगरकी, दक्षिण आफ्रिकाकी और साम्राज्यकी भी एक बड़ी सेवा होगी। यह एक दिनका छोटा-सा सुखद व्यतिक्रम दूसरे दिन पुनः अपने दुर्भावोंको धारण करने और लड़ने-झगड़नसे हमें निश्चय ही

  1. अप्रैल १८, १९११को प्रेषित इस पत्रमें दाउद मुहम्मद तथा नेटालके अन्य नेताओंने लिखा था कि जबतक सत्याग्रह आन्दोलन समाप्त नहीं होता तबतक नेटालके भारतीय डर्बन नगर-निगम द्वारा प्रस्तावित राज्यारोहण समारोहमें भाग नहीं ले सकेंगे। किन्तु, अगर समझौता हो गया और भारतीय समाजने उत्सवमें शामिल होनेका फैसला कर लिया तो वे भी सर्वसामान्य समारोहमें भाग लेंगे; बशर्ते कि ऐसी व्यवस्था की जाये जिससे वे समारोहमें इस उपनिवेशफी आबादीके हर हिस्सेके साथ समानताके स्तरपर भाग ले सकें। किन्तु अगर नगर-निगमने किसी प्रकारका प्रजाति-भेद बरता तो वे इस अवसरपर अलगसे समारोह करेंगे । इंडियन ओपिनियन, २२-४-१९११