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सम्पूर्ण गांधी वाङमय


पत्नियाँ रही हैं वे अबतक तो बिना किसी रोक-टोकके उन्हें लाते रहे है। यदि न्यायाधीशके शब्द सचमुच कानून सम्मत हैं तो हम इतना ही कह सकते हैं कि इस कानूनको बदलना होगा। ब्रिटिश साम्राज्यमें सभी धर्मोका आदर किया जाता है। वहाँ ऐसा कोई कानून नहीं रह सकता जो किसी माने हुए बड़े धर्मका अपमान करता हो। इससे भिन्न कोई कानून दक्षिण आफ्रिकामें बसे बहुत-से भारतीय परिवारोंमें बड़ा दुःख पैदा कर देगा। इसलिए हमें यह जानकर हर्ष हुआ कि ब्रिटिश भारतीय संघ और हमीदिया इस्लामिया अंजुमन इस विषय में कार्यवाही शुरू कर चुके हैं। इस प्रश्नका निपटारा बगैर किसी आन्दोलनके हो जाना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
इंडियन ओपिनियन,८-७-१९११

१०१. जोहानिसबर्गकी चिट्ठी

कूगर्सडॉर्पकी कहानी[१]

यूगर्सडॉर्पकी बस्ती (लोकेशन) में बसे हुए भारतीयोंको निश्चिन्त होकर नहीं बैठ जाना है। क्रूगर्सडॉर्पके समाचारपत्रसे जाहिर होता है कि बस्तीके बारेमें नगरपालिका और सरकारके बीच झगड़ा अब भी चल रहा है। इस झगड़ेकी सार्वजनिक जानकारीका कारण यहाँकी स्कूल-समिति है। उसने यह शिकायत की है कि बस्तीके सामने स्थित स्कूल के विद्यार्थियोंको बस्तीमें रहने वाले भारतीयोंके शौचालयोंका दृश्य सहन करना पड़ता है। नगरपालिकाने स्कूल-समितिको उत्तरमें सूचित किया है कि बस्तीका स्थानान्तरण करने में भारतीयोंको हर्जानेके बतौर ग्यारह सौ पौंड देने पड़ेंगे। सरकारका कहना है कि यह रकम नगरपालिकाको देनी चाहिए; परन्तु नगरपालिका कहती है कि वह रकम उसे नहीं देनी चाहिए, क्योंकि उसकी [लोकेशनसे होनेवाली] आमदनी सरकार लेती रही है। चूंकि बस्तीकी स्थापना सरकारने की थी, इसलिए यह रकम सरकार ही भरे। इस समाचारपत्रके सम्पादकने सुझाव दिया है कि गोरे लोग सार्वजनिक सभाएँ करें और उनमें प्रस्ताव पास करें, इस रकमकी अदायगी सरकारसे करायें तथा बस्तीको और कहीं भिजवायें। ऐसा लगता है कि हर्जानेके १,१०० पौंड देने पड़ेंगे। यह बात समितिकी किसी पिछली बैठकमें तय हो चुकी है।

बस्तीमें रहनेवाले भारतीयोंको मेरी सलाह तो यह है कि वे फौरन सरकार को तथा नगरपालिकाको पत्र लिखें कि परवानगी मिलने पर वे अपने उन घरोंमें जो भी परिवर्तन आवश्यक हो, करनेको तैयार हैं। उन्हें यह सूचित कर देना चाहिए

कि बस्तीको अन्यत्र ले जाने की बात उन्होंने कभी मंजूर नहीं की थी और चूंकि बस्तीमें मस्जिद है, इसलिए वहाँसे हटकर अन्यत्र जाना सम्भव भी नहीं है। मुझे आशा है कि बस्ती में रहनेवाले भारतीय इस विषयमें तत्परतासे काम लेंगे।

 
  1. देखिए, “कूगर्सडॉर्पका बाजार", पृष्ठ ११४-१५ ।